न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार, सूत्रों ने बताया कि, “मंकीपाक्स के खिलाफ टीके का विकास करने को लेकर विभिन्न वैक्सीन निर्माता कंपनियों के साथ चर्चा हो रही है, लेकिन यह ऐसे किसी भी निर्णय के लिए बेहद शुरुआती चरण है। यदि इसकी आवश्यकता हुई तो हमारे पास संभावित निर्माता हैं। यदि भविष्य में इसकी आवश्यकता होती है तो विकल्पों का पता लगाया जाएगा।”
एक वैक्सीन निर्माता कंपनी ने कहा कि ‘मंकीपाक्स को लेकर ऐसी कोई विशेष वैक्सीन फिलहाल नहीं है और वायरस भी म्यूटेट हो चुका है। भविष्य में अगर मामले बढ़ते हैं तो वैक्सीन की जरूरत होगी।’
कई दवा कंपनियां सरकार के साथ मंकीपाक्स के संभावित टीके को लेकर चर्चा कर रही हैं।
भारत में अब तक मंकीपाक्स के 4 मामले सामने आए हैं। इनमें से तीन मामले केरल में जबकि एक मरीज दिल्ली में मिला है।
नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके पॉल ने एक इंटरव्यू में कहा है कि भारत मंकीपाक्स से लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार है और घबराने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, ‘ऐसे मामलों की जांच के लिए हमारा रोग निगरानी तंत्र और भी सक्रिय हो गया है। स्थिति नियंत्रण में है, और घबराने की कोई बात नहीं है।’
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंकीपाक्स को शनिवार को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया था। हालांकि डब्ल्यूएचओ प्रमुख डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अढानम घेब्रेयेसस ने यह भी कहा था कि ‘भेदभाव वायरस जितना ही हानिकारक हो सकता है’।
हाल ही में, डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉ पूनम खेत्रपाल ने भी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अब उन देशों में भी मंकीपाक्स के मामले सामने आए हैं, जहां पहले कोई मामला दर्ज नहीं किया गया था।