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Post Views: 732 हृदयनारायण दीक्षित विश्व कर्मप्रधान है। तुलसीदासने भी लिखा है कर्म प्रधान विश्व रचि राखा। सत्कर्मकी प्रशंसा और अपकर्मकी निन्दा समाजका स्वभाव है। लोकमंगलसे जुड़े कर्मोकी प्रशंसासे समाजका हितसंवद्र्धन होता है। प्रशंसाका प्रभाव प्रशंसित व्यक्तिपर भी पड़ता है। वह लोकहित साधनामें पहले से और भी ज्यादा सक्रिय होता है। समाज प्रशंसनीय व्यक्तिका अनुसरण […]
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Posted on Author ARUN MALVIYA
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