गाजीपुर, । वैसे तो मुख्तार अंसारी व उसके सहयोगी भीम सिंह के खिलाफ गैंगस्टर का मुकदमा 26 सालों से कोर्ट में चल रहा था, लेकिन जिले की एमपी-एमएलए कोर्ट ने 11 माह की सुनवाई में 11 गवाहों के बयान के बाद 51 तारीखों पर ही फैसला सुना दिया है। वैसे फैसला सुनाने वाले विशेष जज दुर्गेश ने सात दिन लगातार बहस के बाद सजा सुनाई है।
अपराध जगत में रहा मुख्तार गैंग का बोलबाला
माफिया मुख्तार अंसारी के गैंग का अपराध जगत में काफी बोलबाला रहा। कई हत्याओं में नाम आने के बाद कोतवाली पुलिस ने उसे व करीबी भीम सिंह 1996 के गैंगस्टर का मुकदमा दर्ज किया था। इस मुकदमे की सुनवाई कई कोर्ट में हुई। बाद में हाईकोर्ट ने जिले की एमपी-एमएलए कोर्ट में मुकदमे की सुनवाई का आदेश दिया। पहले अपर जिला जज व एमपी-एमएएल कोर्ट रामसुध सिंह ने इस मामले की सुनवाई की। जिले में इस केस की 11 महीने तक सुनवाई हुई है। इस दौरान 11 गवाह अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किए गए। जज रामसुध सिंह का तबादला होने के बाद हाईकोर्ट ने विशेष रूप से अपर जिला जज दुर्गेश को इस सुनवाई के लिए नियुक्त किया था। इन्होंने इस मामले की लगातार सात दिनों तक सुनवाई की। बचाव पक्ष को भी सुना गया। इसके बाद यह फैसला सुनाया।
मजबूत गवाही बनी सजा का आधार
मुख्तार अंसारी व सहयोगी भीम सिंह के खिलाफ गैंगस्टर के मुकदमे में दोष सिद्ध होने में मजबूत गवाही अहम मानी जा रही है। इस मामले में बनारस में अवधेश राय हत्याकांड के गवाह व कांग्रेस के पूर्व विधायक अजय राय ने मजबूती के साथ कोर्ट में गवाही दी थी। उन्होंने बताया था कि वह अपने भाई अवधेश राय के साथ बनारस के आवास पर खड़े थे। तभी मारुति वैन से आए मुख्तार अंसारी व उसके साथियों ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं थी। भागने के दौरान अजय राय ने भी अपने लाइसेंसी पिस्टल से फायर किए। इसके बाद हमलावर मारुति वैन छोड़कर फरार हो गए थे। गवाही के दौरान कई बार वीडियो कांफ्रेंसिंग से मुख्तार अंसारी का अजय राय से आमना-सामना भी हुआ। सहायक शासकीय अधिवक्ता नीरज श्रीवास्तव का कहना है कि केस की सुनवाई के दौरान गवाहों ने बिना किसी डर के मजबूती के साथ बयान दिया, जो सजा दिलाने में काम आया।
बचाव पक्ष ने खूब बदला पैतरा
मुख्तार अंसारी के पक्ष ने सजा से बचने के लिए तमाम कोशिशें कीं। इस केस को यहां से स्थानांतरण कराने का भी प्रयास किया, लेकिन कोर्ट ने इसे नकार दिया।
गैंगस्टर में इन पांच केसों को किया था चार्ज
पुलिस ने मुख्तार अंसारी व भीम सिंह को गैंगस्टर के मुकदमे में निरुद्ध करने के दौरान पांच बड़े अपराधों को चार्ज किया था इसमें वाराणसी में अवधेश राय, माफिया त्रिभुवन सिंह के सिपाही भाई राजेंद्र सिंह की वाराणसी पुलिस लाइन में हत्या, रघुवर सिंह, वशिष्ठ तिवारी उर्फ माला गुरू की हत्या और अपर पुलिस अधीक्षक उदयशंकर जायसवाल व अन्य पुलिस कर्मियों पर जानलेवा हमला का मुकदमा शामिल रहा। हालांकि इसमें कई मुकदमों में मुख्तार अंसारी बरी हो गया है।
त्रिभुवन के कांस्टेबल भाई की भी की थी हत्या
माफिया मुख्तार अंसारी को गैंगेस्टर के मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट से 10 वर्ष की सजा एवं पांच लाख रुपये अर्थदंड सुनाए जाने का पता चलते ही माफिया त्रिभुवन के परिवार में खुशियां मनाई गई। मुख्तार की सजा पर त्रिभुवन सिंह के बड़े भाई हेड कांस्टेबल स्व राजेंद्र सिंह के परिवार समेत पूरे कुनबे ने न्यायालय को धन्यवाद ज्ञापित किया है। त्रिभुवन के पुत्र शक्ति सिंह ने कहा कि ईश्वर के घर देर है, लेकिन अंधेर नहीं। जिन पांच मामलों को लेकर मुख्तार पर गैंगस्टर की कार्रवाई की गई थी उसमें एक मामला त्रिभुवन सिंह के बड़े भाई हेड कांस्टेबल राजेंद्र सिंह की हत्या का भी है।
मुड़ियार को मिनी चंबल भी कहा जाने लगा था
क्षेत्र के मुड़ियार गांव निवासी माफिया त्रिभुवन सिंह की अदावत साधू सिंह व मकनू सिंह गैंग से चल रही थी। दोनों तरफ से वर्चस्व की लड़ाई में मुड़ियार को मिनी चंबल भी कहा जाने लगा था। उसी दौर में राजेंद्र सिंह वाराणसी पुलिस लाइनमैन में हेड कांस्टेबल के पद पर तैनात थे। 25 नवंबर 1988 को पुलिस लाइन में ही उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्या के मामले में साधू सिंह व मुख्तार अंसारी के खिलाफ कैंट थाना में मुकदमा कायम किया था। जिन पांच मामलों को लेकर मुख्तार पर गैंगस्टर की कार्रवाई वर्ष 1996 में की गई थी, उसमें एक मामला यह भी था। त्रिभुवन सिंह के पुत्र शक्ति सिंह ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। कहा कि ईश्वर के घर देर है, अंधेर नहीं। प्रदेश की योगी सरकार में चुस्त-दुरुस्त कानून व्यवस्था के बीच न्यायालय के इस फैसले से कानून के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ेगा।