असम में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और मंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने अपने ऊपर केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा चुनाव प्रचार करने पर लगाई गयी 48 घण्टे की रोक को गुवाहाटी हाई कोर्ट में चुनौती दी है. थोड़ी ही देर में उनकी इस याचिका पर सुनवाई होने की उम्मीद है.
निर्वाचन आयोग ने हेमंत बिस्वा सरमा को विपक्षी दल बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) के नेता हग्रामा मोहिलरी के खिलाफ टिप्पणी करने को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया था. कांग्रेस की शिकायत पर चुनाव आयोग ने नोटिस जारी किया था. कांग्रेस ने शिकायत दी थी कि उन्होंने कांग्रेस और बीपीएफ के उम्मीदवार मोहिलरी को धमकी देते हुए कहा था की NIA का इस्तेमाल कर जेल भिजवा देंगे.
बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट असम में कांग्रेस की सहयोगी पार्टी है. कांग्रेस इस चुनाव में बदरुद्दीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ और बीपीएफ के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रही है.
28 मार्च को अपने एक चुनावी संबोधन में दिया था बयान
हेमंत बिस्वा सरमा ने 28 मार्च को अपने एक चुनावी संबोधन में ये बयान दिया था. मामले में कांग्रेस की शिकायत पर चुनाव आयोग ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया था. जिसका उन्होंने कल यानी शुक्रवार को रिप्लाई किया था. चुनाव आयोग ने हेमंत बिस्वा सरमा द्वारा दिए गए जवाब पर असहमति जताते हुए उन पर चुनाव प्रचार करने से 48 घण्टे की रोक लगाने का आदेश दिया था.
अपने आदेश में चुनाव आयोग ने कहा, “निर्वाचन आयोग हेमंत बिस्वा सरमा द्वारा दिए गए बयानों की कड़ी निंदा करता है. आयोग तत्काल प्रभाव से अगले 48 घण्टे तक उनके किसी भी प्रकार के चुनाव प्रचार में शामिल होने पर रोक लगाता है. इस दौरान हेमंत बिस्वा सरमा के असम चुनाव से संबंधित किसी भी तरह की आम सभा, रैली, रोड शो और मीडिया कार्यक्रमों में भाग लेने पर रोक लगायी जाती है.”