नई दिल्ली, । घरेलू हिंसा के शिकार विवाहित पुरुषों द्वारा की गई आत्महत्या के मामलों से निपटने के लिए दिशा-निर्देश देने की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। याचिकाकर्ता ने राष्ट्रीय पुरुष आयोग की स्थापना की मांग की थी।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने इस मामले पर विचार करने में अनिच्छा व्यक्त की। इस मामले की सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि आप बस एकतरफा तस्वीर पेश करना चाहते हैं। क्या आप हमें शादी के तुरंत बाद मरने वाली युवा लड़कियों का डेटा दे सकते हैं? कोई भी आत्महत्या नहीं करना चाहता, यह व्यक्तिगत मामले के तथ्यों पर निर्भर करता है।’
महिलाओं से ज्यादा पुरुषों ने की आत्महत्या
वकील महेश कुमार तिवारी ने भारत में आकस्मिक मौतों पर 2021 में प्रकाशित राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि साल 2021 में देश भर में 1,64,033 लोगों ने आत्महत्या किया। इसमें से 81,063 विवाहित पुरुष थे और 28,680 विवाहित महिलाएं शामिल थी।
पारिवारिक समस्या बड़ा कारण
साल 2021 में लगभग 33.2 प्रतिशत पुरुषों ने पारिवारिक समस्याओं के कारण और 4.8 प्रतिशत ने विवाह संबंधी मुद्दों के कारण आत्महत्या की। इस साल, कुल 1,18,979 पुरुषों ने आत्महत्या की, जो लगभग 72 प्रतिशत हैं। वहीं, कुल 45,026 महिलाओं ने आत्महत्या की, जो लगभग 27 प्रतिशत है।
याचिकाकर्ता ने वापस ली याचिका
याचिका में विवाहित पुरुषों द्वारा आत्महत्या के मुद्दे से निपटने और घरेलू हिंसा से पीड़ित पुरुषों की शिकायतों को स्वीकार करने के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) को निर्देश देने की भी मांग की गई थी। कोर्ट ने कहा कि आपराधिक कानून देखभाल करता है, उपचार नहीं करता है। सुप्रीम कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका को वापस ले ली है।