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- एसडीआरएफ में कर्मियों की संख्या और बढ़ायें तथा उनका बेहतर प्रशिक्षण करायें
- वज्रपात का असर कम करने हेतु तैयार की गई कार्य योजना की मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुति
(आज समाचार सेवा)
पटना। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा में किसी को भी किसी भी तरह की परेशानी नहीं हो, इसका हम लोग ख्याल रखते हैं। आपदा की स्थिति में त्वरित एवं प्रभावी ढंग से राहत एवं अन्य कार्यों के संचालन के लिए स्थायी तौर पर काम करें। पुराने कार्यों व अनुभवों को ध्यान में रख कार्ययोजना बना कर काम करें। एसडीआरएफ में कर्मियों की संख्या बढ़ाएं तथा उनका बेहतर प्रशिक्षण कराएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत 14 वर्षों में प्रभावित क्षेत्रों का आकलन के आधार पर स्थल चयन कर रिस्पांस सुविधा सह प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना करें, ताकि आपदा की स्थिति में जल्द से जल्द लोगों को राहत मिल सके।
आपदा प्रबंधन विभाग एवं बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने मुख्यमंत्री के समक्ष इस कार्ययोजना का प्रेजेंटेशन दिया कि वज्रपात से बचाव के लिए लोगों को किस तरह से जागरूक करना है। आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से यह बताया कि आपदा के समय राहत और बचाव कार्य को किस तरह से करना है। इस क्रम में यह भी जानकारी दी गई कि सर्वोच्च न्यायालय ने बाढ़ के दौरान बिहार में चलाई गई सामुदायिक रसोई माडल की प्रशंसा की गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा में किसी को भी किसी भी तरह की परेशानी नहीं हो, इसका हम लोग ख्याल रखते हैं। आपदा की स्थिति में त्वरित एवं प्रभावी ढंग से राहत एवं अन्य कार्यों के संचालन के लिए स्थायी तौर पर काम करें। पुराने कार्यों व अनुभवों को ध्यान में रख कार्ययोजना बना कर काम करें। एसडीआरएफ में कर्मियों की संख्या बढ़ाएं तथा उनका बेहतर प्रशिक्षण कराएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत 14 वर्षों में प्रभावित क्षेत्रों का आकलन के आधार पर स्थल चयन कर रिस्पांस सुविधा सह प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना करें, ताकि आपदा की स्थिति में जल्द से जल्द लोगों को राहत मिल सके।
मुख्यमंत्री की बैठक में आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष उदयकांत मिश्र, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, मुख्य सचिव आमिर सुबहानी, आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य पीएन राय, मनीष कुमार वर्मा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव एस सिद्धार्थ, मुख्यमंत्री के सचिव अनुपम कुमार व ओएसडी गोपाल सिंह भी उपस्थित थे।