उन्होंने कहा गांव के प्रत्येक व्यक्ति को मैने एक नजर से देखा है चाहे वह किसी भी राजनीतिक दल से जुड़ा हुआ हो। उन्होंने कहा कि किठाना गांव में आदर्श बनाना मेरे लिए परिकल्पना है। धनखड़ ने कहा कि गांव के बच्चे-बच्चियों को प्रारंभ में थोड़ा संकोच होता है। लेकिन बाद में मेहनत कर के दुनिया में आगे बढ़ते हैं। उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति या राज्यपाल बनने के बाद गाड़ियों के कांच नीचे नहीं करना हमारी मजबूरी है। सुरक्षा के चलते हमें ऐसी गाड़ियों में चलना होता है। लेकिन यह मत समझना कि मैं आपसे दूर हूं। मैं प्रत्येक व्यक्ति के लिए हमेशा तैयार रहूंगा।
उन्होंने लोगों से सरकार की योजनाओं का पूरा लाभ लेने के लिए कहा। धनखड़ ने कहा कि बच्चे-बच्चियों को पढ़ाना आवश्यक है। लड़के-लड़की में फर्क मत करो। केंद्र सरकार की उज्जवला योजना की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि इस योजना का ग्रामीणों को लाभ लेना चाहिए। महिलाओं को इस योजना से काफी लाभ हुआ है।
स्कूल भवन का शिलान्यास किया
सुबह करीब साढ़े आठ बजे सेना के हेलिकाप्टर से किठाना गांव पहुंचे धनखड़ और उनकी पत्नी सुदेश ने गांव में सरकारी स्कूल के भवन का शिलान्यास किया । इस स्कूल में उन्होंने खुद प्राथमिक कक्षा तक की पढ़ाई की है। इस स्कूल में पढ़ रहे बच्चों और शिक्षकों ने उनका अभिनंदन किया। इसके बाद धनखड़ ने गांव में स्थित मंदिर में पूजा-अर्चना की और फिर अपने पैतृक घर पर गए। यहां उन्होंने स्वजनों एवं पुराने मित्रों से मुलाकात की। बचपन के एक मित्र को उन्होंने गले लगा लिया और उसके स्वजनों के हालचाल जाने। इसके बाद धनखड़ और उनकी पत्नी ने खाटूश्याम जी मंदिर व सालासर हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना की।
त्यौहार से कम नहीं था धनखड़ का गांव में पहुंचना
उपराष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार अपने पैतृक गांव पहुंचे धनखड़ का ग्रामीणों ने अभिनंदन किया। गांव को सजाया गया और मिठाई बांटी गई। ग्रामीण परंपरा के अनुसार लोगों ने परंपरागत नृत्य, ढोल-मजीरों और डीजे सहित अपने-अपने तरीकों से धनखड़ का स्वागत किया। ग्रामीणों ने कहा आज का दिन हमारे लिए किसी त्यौहार से कम नहीं है। आसपास के गांवों के लोग भी धनखड़ का अभिनंदन करने पहुंचे। उनके भाई विजयपाल ने कहा कि परिवार ही नहीं पूरे गांव में उत्साह है। धनखड़ ने अपने फार्म हाउस पर बच्चों के लिए नि:शुल्क कंप्युटर प्रशिक्षण केंद्र एवं वाचनालय संचालित कर रखा है।