आसान हो जाएगा कारोबार
लाजिस्टिक लागत में मुख्य रूप से ट्रांसपोर्टेशन, वेयरहाउसिंग, इंवेंटरी, आर्डर प्रोसेसिंग पर होने वाले खर्च शामिल हैं। लाजिस्टिक लागत कम होने से कारोबार आसान हो जाएगा और वस्तु की कुल लागत कम होगी, जिससे वैश्विक बाजार में भारतीय वस्तुएं सस्ती होंगी। लाजिस्टिक सुगमता आने से मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में नए निवेश में बढ़ोतरी होगी।
लॉजिस्टिक सुगमता की रैंकिंग में भारत का स्थान 44वां
वर्ष 2018 के विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक लॉजिस्टिक सुगमता की रैंकिंग में भारत का स्थान 44वां है। केंद्र के साथ-साथ राज्य भी अपनी लाजिस्टिक नीति तैयार कर रही है। सूत्रों के मुताबिक 14 राज्यों ने अपनी लाजिस्टिक तैयार कर ली है और 13 राज्यों में अभी यह मसौदे के स्तर पर है। उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआइआइटी) की तरफ से केंद्र सरकार की लाजिस्टिक नीति तैयार की गई है।
कैसे कम हो जाएगी माल भेजने की लागत
इस नीति के तहत दो वर्चुअल प्लेटफार्म यूनिफायड लाजिस्टिक इंटरफेस प्लेटफार्म (यूलिप) और ई-लाग्स का इस्तेमाल किया जाएगा। यूलिप प्लेटफार्म से रेलवे, शिपिंग, नागरिक उड्डयन, सड़क परिवहन, जीएसटीएन, एनपीसीआइ, कस्टम, डीजीएफटी जैसे विभाग जुड़े होंगे। कारोबारी इस पर अपने माल को भेजने के लिए आवेदन करेगा और सभी विभाग उस आवेदन पर अपना जवाब या प्रतिक्रिया देंगे।
बार बार कस्टम क्लीयरेंस से मिलेगी मुक्ति
किसी को अपना माल पहले सड़क से और फिर से हवाई मार्ग होते हुए पोर्ट से विदेश भेजना है तो उसे अलग-अलग वेंडर से संपर्क नहीं करना होगा। उसे बार-बार अपना जीएसटी या कस्टम क्लीयरेंस नहीं कराना होगा।
अभी क्या है लाजिस्टिक लागत और उसे कितना कम करना है
- अभी किसी वस्तु की कुल लागत में ट्रांसपोर्टेशन खर्च छह प्रतिशत है जिसे चार प्रतिशत करना है
- वेयरहाउसिंग की लागत 3.5 प्रतिशत है जिसे 2.5 प्रतिशत करना है
- इंवेंट्री लागत 2.5 प्रतिशत है जिसे एक प्रतिशत तक लाना है
- आर्डर प्रोसेसिंग पर अभी एक प्रतिशत की लागत आती है जिसे 0.5 प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य है
ई-लाग्स पोर्टल बनाया गया
विभिन्न प्रकार की कागजी कार्रवाई से बचने के लिए ई-लाग्स पोर्टल बनाया गया है। इस पोर्टल की मदद से तय समय में क्लीयरेंस दी जाएगी और एक ही प्रकार के दस्तावेज को विभिन्न विभागों को नहीं भेजना होगा। जैसे सड़क मार्ग और हवाई मार्ग से किसी माल को भेजना है तो उसकी जानकारी अलग-अलग भेजनी होती थी। अब ऐसा नहीं करना होगा। माल भेजने के लिए बनाए जाने वाले बाक्स कंटेनर जैसे आइटम का एक राष्ट्रीय मानक तय होगा ताकि मालवाहक वाहनों की क्षमता का 100 प्रतिशत इस्तेमाल हो सके।