कर्नाटक सीमा विवाद के मामले की कानून लड़ाई की प्रक्रिया में समन्वय के लिए प्रदेश के उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटील और राज्य के उत्पादन शुल्क मंत्री शंभुराज देसाई की नियुक्ति की गई है।सोमवार को राज्य अतिथि गृह सह्याद्री में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद संबंधी उच्चाधिकार समिति की बैठक हुई। इस दौरान कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा है कि उनकी सरकार ने उच्चतम न्यायालय में महाराष्ट्र के साथ अपने सीमा विवाद पर कानूनी लड़ाई को आगे बढ़ाने की पूरी तैयारी कर ली है। इस बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में चल रही कानून लड़ाई में तालमेल के लिए दो मंत्रियों की नियुक्ति की गई है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले मराठी भाषियों को भी मुख्यमंत्री सहायता निधि और महात्मा जोतिबा फुले जनआरोग्य योजना का लाभ दिया जाएगा। इसके साथ ही सीमा आंदोलन में मृत हुए लोगों के परिजनों को स्वतंत्रता सैनिकों की तरह दोगुना पेंशन दिया जाएगा। महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्यों के बीच में बेलगावी, खानापुर, निप्पानी, नंदगाड और कारवार की सीमा को लेकर विवाद है। भाषाई आधार साल 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के दौरान महाराष्ट्र के कुछ नेताओं ने मराठी भाषी बेलगावी सिटी, खानापुर, निप्पानी, नांदगाड और कारवार को महाराष्ट्र का हिस्सा बनाने की मांग की थी। आगे चलकर जब यह मामला बढ़ा तो केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश मेहर चंद महाजन के नेतृत्व में एक आयोग के गठन का फैसला लिया। इसको लेकर कर्नाटक में विवाद शुरू हो गया और कर्नाटक को तब मैसूर कहा जाता था। दोनों राज्यों के बीच विवाद इसलिए शुरू हुआ, क्योंकि मैसूर के तत्कालीन मुख्यमंत्री एस निजालिंग्पा, प्रधानमंत्री इंदिरा गांदी और महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीपी नाइक के साथ बैठक में इसके लिए तैयार हो गए थे। हालांकि, बाद में जब आयोग ने अपनी रिपोर्ट दी, तो महाराष्ट्र ने इसे भेदभावपूर्ण और अतार्किक बताते हुए खारिज कर दिया था। आयोग की रिपोर्ट में कहा गया था, बेलगाम या बेलगावी को महाराष्ट्र राज्य में मिलाने की अनुशंसा नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही बेलगाम पर कर्नाटक के दावे को हरी झंडी दे दी गई। आयोग ने निप्पानी, खानापुर और नांदगाड सहित 262 गांव महाराष्ट्र को और 247 गांव कर्नाटक को दिया। हालांकि, महाराष्ट्र बेलगावी सहित 814 गांवों की मांग कर रहा था। 2006 में यह विवाद फिर से तब खूब सुर्खियों में आया था, जब इसको लेकर महाराष्ट्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में चली गई और उसने बेलगाम शहर पर दावा जताते हुए याचिका दायर कर दी. महाराष्ट्र सरकार की याचिका में इसके लिए दलील दी गई कि इन दिनों कर्नाटक में रहने वाले मराठी भाषी लोगों के मन में असुरक्षा की भावना पैदा हो गई है. लेकिन, तथ्य ये है कि आज की तारीख में भी बेलगाम शहर के साथ ही पूरा बेलगाम जिला कर्नाटक का ही हिस्सा है.
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