नई दिल्ली। कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास से जुड़ा एक निजी विधेयक शुक्रवार को राज्यसभा में पेश किया गया। जिसमें सरकार से मांग की गई है, कि विस्थापित कश्मीरी पंडितों को फिर से घाटी में बसाने के लिए केंद्र सरकार एक एडवाइजरी कमेटी का गठन करें। जिसमें कम से कम आधी महिलाएं हो। साथ ही इन्हें पुनर्वास के लिए एक मुश्त वित्तीय मदद दी जाए। प्रत्येक व्यक्ति को हर महीने कम से कम पांच हजार व परिवार को अधिकतम बीस हजार रूपए दिया जाए।
इस राशि की प्रत्येक तीन साल में समीक्षा भी की जाए। कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास से जुड़ा यह विधेयक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा से पेश किया। साथ ही सरकार से इस पर तुंरत चर्चा कराने की भी मांग की। विधेयक में कश्मीरी पंडितों के मूल निवासी नियमों को भी सरल करने की बात कही गई है। ताकि जिन्हें गोल लिया गया है या फिर जिन्होंने वहां के लोगों के शादी आदि की है, उन्हें मूल निवासी माना जाए।
तन्खा ने विधेयक में कहा है कि कश्मीरी पंडितों को फिर बसाने के लिए उन्हें पूरी सुरक्षा और जरूरी सुविधाएं दी जाए। इसके साथ ही उन्हें अल्पसंख्यक दर्जा भी दिया जाए। वैसे भी उन्हें कश्मीर घाटी में उनके साथ जिस तरह से अत्याचार हुआ है, वह किसी से भी छुपा नहीं है। इस मामले में उन्हें पीडि़त मानते हुए यह विशेष दर्जा दिया जाए। पेशे से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने विधेयक में कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा का मुद्दा भी प्रमुखता से रखा है।
इस दौरान सुरक्षा के लिए टास्क फोर्स बनाने और प्रत्येक परिवार एक बंदूक का लाइसेंस भी देने की मांग भी रखी। उनके पुनर्वास के लिए करीब दस हजार कश्मीरी पंडितों को तुंरत सरकारी नौकरी देने की भी मांग की गई है। गौरतलब है कि विवेक तन्खा ने पिछले दिनों ही राज्यसभा में चर्चा के दौरान कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए निजी विधेयक पेश करने का ऐलान किया है।