एक जनवरी तक मांगें नहीं मानी गयीं तो होगा आगेकी रणनीति का एलान
नयी दिल्ली(आससे)। किसान यूनियनों ने सरकार के बातचीत के प्रस्ताव को सशर्त स्वीकार कर लिया है। किसानों ने सरकार को 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे बैठक का प्रस्ताव दिया है। आज सिंघु बॉर्डर पर किसान संगठनों के नेताओं की बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक के बाद भारतीय किसान यूनियन के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक ने एक बयान में कहा कि किसान यूनियन ने मांग रखी है कि बैठक में तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी दर्जा देने पर बात की जाये। इसके साथ ही पराली और प्रस्तावित वायु गुणवत्ता एवं विद्युत संशोधन अधिनियम में बदलाव पर भी चर्चा हो। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि 30 दिसंबर को सभी ट्रैक्टर एक बॉर्डर से दूसरे बॉर्डर पर मार्च करेंगे। बयान के मुताबिक सरकार को चेतावनी दी गयी है कि अगर 1 जनवरी तक समाधान नहीं निकला तो किसान नेता आगे की रणनीति का एलान करेंगे। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि समाधान निकालना किसान के हाथ में नहीं है, समाधान सरकार निकालेगी। किसान शांतिपूर्ण तरीके से अपना आंदोलन कर रहे हैं। किसान हारेगा तो सरकार हारेगी और किसान जीतेगा तो सरकार जीतेगी। वहीं, दिनभर बंद रखने के बाद शाम को किसानों ने दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे का रास्ता खोल दिया। सुबह 11 बजे ही प्रदर्शनकारी किसानों ने दिल्ली से यूपी जाने वाली सभी लेन को बंद कर दिया था।