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- लीज या आंवटन गलत होने पर होगा रद्द
- पटना में जांच शुरू, अन्य जिलों में होगी जल्द जांच
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(आज समाचार सेवा)
पटना। राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय ने कहा है कि खासमहाल की जमीन की विभाग समीक्षा कर रही है। जिनका लीज या भूमि आवंटन नियमानुकूल नहीं होगा उसे रद्द किया जायेगा। सरकार सभी मामलों की जांच करा रही है। इसके लिए जिलावार टीम गठित की गयी है। पटना जिला में इस टीम ने जांच शुरू कर दी है।
मंत्री श्री राय ने बताया कि कुछ लोगों ने गलत तरीके से जमीन को बेच दिया है, कुछ लोगों ने अवैध तरीके से जमीन को किराये पर लगा दिया है और उसकी प्रकृति भी बदल दिया है। ऐसे लोगों को नोटिस देने और ऐसे जमीनों की पैमाईश शुरू कर दी गयी है। विभाग ने राज्य के १२ जिलों यथा पटना, मुंगेर, पूर्णिया, रोहतास, बक्सर, भोजपुर, भागलपुर, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण एवं मुजफ्फरपुर जिलों के जिलाधिकारियों को खासमहाल की गैर लीज जमीन के नवीकरण के संबंध में न्यायालय के आदेश के आलोक में विस्तृत सर्वे करके प्रतिवेदन समर्पित करने को कहा गया है। यह जिम्मेवारी अपर समाहर्ताओं को दी गयी थी, किंतु कोरोना काल एवं अन्य कारणों से इससे संबंधित जानकारी नहीं भेजी गयी है।
उन्होंने बताया कि राज्य में खासमहाल की कुल ४१९३ एकड़ जमीन है, जिनमें मुख्य रुप से पटना, पूर्णिया एवं मुंगेर में अवस्थित है। ये सारी जमीन मुख्य रुप से शहरी क्षेत्र में अवस्थित है, जिसकी कीमत आज की तारीख में अरबों की है। खासमहाल की भूमि वह भूमि है जो अंग्रेजों के द्वारा अपने उपयोग खासकर सामरिक और प्रशासनिक कार्यों के लिए रख ली गयी थी और स्वतंत्रता के पश्चात यह भूमि सरकार को सीधे वापस हुई। इस पर जिलाधिकारियों का नियंत्रण होता था। शुरू में इस जमीन को लीज करने का अधिकार सरकार में निहित था जो खासमहाल नीति २०११ के बाद जिलाधिकारियों को दे दी गयी है।
अंग्रेजों द्वारा अपने शासनकाल में विशेषकर बंगाल, बिहार के विभाजन के बाद प्रशासनिक केंद्रों की स्थापना के दौरान स्थानीय महत्वपूर्ण लोगों विशषकर विभिन्न पेशे के यथा वकील, डाक्टर आदि को आवासीय एवं व्यावसायिक प्रयोजन के लिए दे दिया गया। खासमहाल की जमीन को मुख्यत: दो प्रकार से लीज दी गयी है। स्थायी लीज जिसमें समय निर्धारित नहीं था। अस्थायी लीज जो तीस से साठ वर्षों तक के लिए दी गयी थी। अस्थायी लीज समाप्त होने के पश्चात लीज नवीकरण का प्रावधान है। स्वतंत्रता के पश्चात भी जिलों से लीज प्रस्ताव प्राप्त होने पर राज्य सरकार द्वारा इन खासमहाल जमीन में अधिकांश लीज बंदोवस्ती प्रशासनिक एवं अन्य संस्थाओं को दी गयी है।
मंत्री ने बताया कि कालांतर में यह पाये जाने पर कि भूमि बेसकीमती है और सरकार को राजस्व की यथोचित प्राप्ति नहीं हो रही है। बिहार खास महाल मैनुअल के नियमों से इतर नयी खासमहाल नीति २०११ बनायी गयी है। नयी नीति में स्थायी लीज के प्रावधान को समाप्त कर करते हुए उसे भी तीस वर्षीय लीज के प्रावधान के अंतर्गत लाये जाने और अद्यतन भूमि के बाजार मूल्य के आधार पर आवासीय एवं एवं व्यावसायिक प्रयोजनों के लिए लीज नवीकरण हेतु सालामी का दर एवं वार्षिक लगान निर्धारित किये जाने पर लीजधारियों द्वारा हाइ कोर्ट में वाद दायर किया गया। हाइ कोर्ट के द्वारा सरकार के विरुद्ध आदेश दिया गया।
राज्य सरकार इसके विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर किया। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि वर्ष २०११ की नीति कार्यकारी बनाये जाने की तिथि से पूर्व के लीज का निवीकरण बिहार खासमहाल मैन्यूअल १८५३ के अधीन ही हो और वर्ष २०११ के बाद यदि नया लीज किया जाता है तो उस पर नयी खास महाल नीति २०११ लागू की जा सकती है। विभाग ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया है कि सुप्रीम कोर्र्ट के आदेश के अनुरूप लीज नवीकरण, लीज उल्लंघन एवं नये लीज के संदर्भ में कार्रवाई करें।