- सूरत, : डायमंड सिटी के तौर पर विख्यात गुजरात का सूरत शहर कोरोना वायरस के संक्रमण बहुत प्रभावित है। जिलेभर के श्मशान-घाटों पर लाशों के अंबार लग गए हैं। पिछले दो सप्ताह में इतनी लाशें श्मशान पहुंची कि दाह-संस्कार करने के लिए कई आधुनिक तौर-तरीके अपनाने पड़ गए। चौबीसों घंटे श्मशान चालू रहने की वजह से लाश जलाने वाली गैस भट्टियों की ग्रिल तक पिघल गई। सूरत के सभी तीन श्मशान-स्थलों पर गैस की भट्टियां पिघलने की समस्या का सामना कर रही हैं। कुछ ऐसा ही हाल निकट में स्थित बारडोली शहर से भी सामने आया है।
रामनाथ घीला श्मशान (आरजीसी) के एक अधिकारी ने कहा कि, श्मशानों में शव जलाने के लिए शव को गैस भट्ठी के अंदर लोहे की तख्ती पर रखा जाता है, लेकिन हर वक्त लाशें जलते रहने के चलते वे लोहे की ग्रिल पिघलने लगी हैं। रोज कई कई लाशें श्मशानों पर पहुंच रही हैं। ग्रिल के पिघलने के साथ-साथ, बर्नर को लगातार रखरखाव की भी आवश्यकता होती है क्योंकि उन्हें चौबीसों घंटे इस्तेमाल किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, “पहले हम एक दिन में 20 लाशों का दाह संस्कार करते थे, जिनमें से कुछ को लकड़ी की चिता पर जलाते थे। जबकि अन्य का गैस भट्टियों में अंतिम संस्कार किया जाता था। बोझ सीमित था और प्रत्येक भट्टी को ठंडा होने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता था। लेकिन अब, हम प्रतिदिन 80 से अधिक लाशें निपटा रहे हैं और प्रत्येक भट्टी चौबीसों घंटे उपयोग में है। इसलिए, लोहे के फ्रेम पिघलने और टूटने लगे हैं।”