- देश में खाद्य तेलों की महंगाई ने आम आदमी की जेब का बजट बिगाड़ कर रख दिया है. रसोई का खर्च इतना बढ़ गया है कि वह घर पर भी सादा-सादा खाने को मजबूर है. ऐसे में मोदी सरकार के एक फैसले से आम आदमी को राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है.
पाम ऑयल पर कम की इम्पोर्ट ड्यूटी
मोदी सरकार ने मंगलवार को कच्चे पाम तेल पर आयात शुल्क घटाकर 10% करने का फैसला किया. इसके अलावा अन्य पाम ऑयल पर इम्पोर्ट ड्यूटी को घटाकर 37.5% पर लाया गया है. इससे बाजार में खाद्य तेलों की कीमतें नीचे आने की उम्मीद है.
तीन महीने के लिए लागू
केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमाशुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने अपने एक नोटिफिकेशन में कहा कि कच्चे पाम तेल पर बेसिक कस्टम ड्यूटी को घटाकर 10% और अन्य पाम तेल पर 37.5% कर दिया गया है. पीटीआई की खबर के मुताबिक नई दरें 30 जून से ही मान्य हो गई हैं और ये 30 सितंबर 2021 तक मान्य रहेंगी.
अभी लगती है इतनी ड्यूटी
अभी देश में कच्चे पाम तेल के आयात पर 15% की कस्टम ड्यूटी लगती है., जबकि अन्य कैटेगरी जैसे कि आरबीडी पाम ऑयल, आरबीडी पामोलीन, आरबीडी पाम स्टीयरिन और अन्य पाम ऑयल पर ये दर 45% है.
सॉल्वेंट एक्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) के कार्यकारी निदेशक बी. वी. मेहता ने कहा कि कच्चे पाम तेल पर इम्पोर्ट ड्यूटी 15% से घटाकर भले 10% कर दी गई है. लेकिन कच्चे पाम तेल पर प्रभावी शुल्क में 5.50 की कमी आई है और ये 35.75% से घटकर 30.25% रह गई है.
पाम तेल का खाद्य तेल में इस्तेमाल
देश में उपयोग होने वाले अधिकतर खाद्य तेलों में पाम ऑयल का इस्तेमाल होता है. ये खाने के तेलों में ब्लेंड करने के लिए उपयोग में लाया जाता है. मई में सरसों के तेल के दाम पौने दो सौ रुपये लीटर तक चले गए थे. हालांकि बीते दिनों में इनमें कुछ नरमी देखी गई है लेकिन अभी भी ये काफी ऊंचे स्तर पर बने हुए हैं.