मुगलसराय। देश के द्वितीय प्रधानमंत्री को अपने ही जन्मभूमि पर वह सम्मान नहीं मिल सका जिसके वह हकदार हैं। लाल बहादुर शास्त्री का जन्म २ अकटुबर १९०४ को सेन्ट्रल कालोनी में हुआ उनकी प्राथमिक शिक्षा ज्वाइंट रेलवे इंडियन ब्वायज विद्यालय वर्तमान रेलवे इण्टर कालेज में हुई जहां उनकी आदमकद प्रतिमा लगी है । जो उनके व्यतित्व का संदेश और छात्रों को प्रेणा देती है । उनकेे जन्म स्थली पर तत्कालीन नगर विकास मंत्री आजम खान दारा रेलवे सेटलमेण्ट नगर पंचायत को दिये फण्ड से चहारदीवारी करा दिया गया है परन्तु उनके स्वतंत्रता आन्दोलन व राजनीतिक सिद्घांतों, वसूलों को पढऩे के लिए एक अदद लाईब्रेरी तक नहीं है। यदि स्वतंत्रा आन्दोलन की बात की जाये तो १९२१ का असहयोग आन्दोलन, १९३० का दांडी मार्च ,१९४२ का भारत छोड़ो आन्दोलन उल्लेखनीय है। रेलवे इंटर कालेज की बात की जाये तो इसी विद्यालय में कीर्ति कुमार चतुर्वेदी ने पढ़ायी किया जो जो देश के एयर मार्शल बने जिन्होंने गुरूओं के सम्मान में फाइटर प्लेन का माडल दिया जो विद्यालय के प्रवेश द्घार पर रखा हुआ है जो विद्यालय के गौरव को दर्शा रहा है । इसी तरह विद्यालय से प्राम्भिक शिक्षा लेकर निकले कितने छात्र आज देश के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सेवा दे रहे हैं। ऐसे में जब विद्यालय को बंद करने की बात सामने आयी तो विद्यालय से अध्यन कर निकले छात्रों ने इसे तत्कालीन रेल मंत्री ,पूर्व प्रधानमंत्री सादगी के प्रतिमुर्ती लालबहादुर शास्त्री जो १९५२ में रेलमंत्री व १९६४ में प्रधानमंत्री बने जिन्होंने १९६५ में पाकिस्तान को अपने कुशल नेतृत्व में करारी शिकस्त दिया और देश को अनाज में आत्मनिर्भर के लिए जय जवान जय किसान का नारा भी दिया। लाल बहादुर शास्त्री राजनीतिक सफर में देश अनेको महत्वपुर्ण पद पर रहे और नैतिकता की छाप छोड़ा जिसकी सराहना होती रहती है। ऐसे महान देश के सपुत जिन्होंने मुगलसराय में जन्म लेकर विश्व में भारत का नाम रौशन किया ऐसे मे कालेज के इतिहास को संरक्षित रखने के लिए उनके प्रारम्भिक विद्यालय को राष्ट्रीय धरोहर व जन्मस्थली को विकसित करने की मांग जायज दिखती है ।