नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट अगले साल जनवरी के आखिरी हफ्ते में चुनावी बॉन्ड के खिलाफ दायर पीआईएल पर सुनवाई करेगा। पीआईएल में राजनीतिक दलों को चंदा देने की अनुमति देने वाले कानूनों को चुनौती दी गई है। जस्टिस बी आर गवई और विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि इस मामले पर सुनवाई की जरूरत है।
क्या बोला सुप्रीम कोर्ट?
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा, ‘यह 2015 का मामला है। छुट्टी के अंतिम दिन से ठीक पहले आपके पास ऐसी आपात स्थिति नहीं हो सकती है, अभी कोई चुनाव नहीं है। हम इस पर जनवरी 2023 के अंतिम सप्ताह में सुनवाई करेंगे।’
एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्मस की ओर से पीआईएल दाखिल की गई है। वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि याचिकाओं में कई संवैधानिक सवाल शामिल हैं, जिनका चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर जबरदस्त असर है। उन्होंने कहा कि संविधान पीठ के संदर्भ के मुद्दे को पहले देखा जा सकता है। इस पर अदालत ने कहा कि इस पर भी सुनवाई की आवश्यकता होगी।
2017 में दायर हुई याचिका
बता दें कि एनजीओ ने कथित भ्रष्टाचार के कथित मुद्दे, सभी राजनीतिक दलों के खातों में पारदर्शिता की कमी को लेकर 2017 में जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया कि इससे लोकतंत्र को नुकसान होता है।