देशमें कोरोनाके बढ़ते मामलोंके बीच कोरोना वैक्सीनसे जुड़ी सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमिटीने रूसकी स्पूतनिक वैक्सीनको मंजूरी दे दी है। कोविशील्ड और कोवैक्सीनके बाद भारत सरकारकी तरफसे यह तीसरी वैक्सीन है, जिसके आपात इस्तेमालको मंजूरी दी गयी है। स्पुतनिक वैक्सीनको मंजूरी ऐसे वक्तपर दी गयी है जब कई राज्योंकी तरफसे केन्द्रपर पर्याप्त वैक्सीनकी सप्लाई न करनेका आरोप लगाया जा रहा है। ऐसेमें इस वैक्सीनके आनेके बाद यह उम्मीद की जा रही है कि भारतमें कोरोनाके खिलाफ वैक्सीनेशनकी जंग और तेज होगी। फिलहाल देशमें सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडियाकी कोविशील्ड और भारत बायोटेककी कोवैक्सीनको ही इस्तेमाल किया जा रहा है। यह वैक्सीन युद्धस्तरपर ४५ वर्षसे अधिक उम्रके लोगोंको लगायी जा रही है। इस बीच महाराष्ट्र समेत देशके कई राज्योंसे वैक्सीनकी कमीकी खबरें भी आ रही हैं। इसी वजहसे अब अन्य वैक्सीन निर्माताओंकी वैक्सीनको भी देशमें मंजूरी दिये जानेकी अपील की जा रही थी। स्वास्थ्य मंत्रालयके मुताबिक देशमें अबतक दस करोड़से ज्यादा लोगोंका वैक्सीनेशन किया जा चुका है।
कोरोना संक्रमणके बढ़ते मामलोंको देखते हुए भारत सरकारने पिछले महीने वैक्सीनके निर्यातपर अस्थायी रूपसे रोक लगा दी थी लेकिन इसके बावजूद देशके भीतर वैक्सीनकी कमीसे जुड़ी शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं। ऐसेमें यह सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या भारतकी वैक्सीन डिप्लोमैसीसे इसकी घरेलू जरूरतोंको नुकसान पहुंचा है। परराष्टï्र मंत्रालयके हालिया आंकड़ोंके अनुसार भारतने वैक्सीन मैत्री पहलके अंतर्गत अबतक ६.४५ करोड़ वैक्सीन डोजका निर्यात किया है। इनमेंसे १.०४ करोड़ खुराकें अनुदानके तौरपर, ३.५७ करोड़ खुराकें व्यापारिक तौरपर और १.८२ करोड़ खुराकें संयुक्त राष्ट्रकी कोवैक्स पहलके अंतर्गत निर्यात की गयी हैं। संक्रमणमें लगातार आती तेजीके मद्देनजर कुछ विपक्षी पार्टियोंने मांग की है कि जबतक भारतकी पूरी आबादीका टीकाकरण नहीं हो जाता, वैक्सीनके निर्यातपर रोक लागू रहनी चाहिए। कोरोना वैक्सीनके निर्यातपर रोक कबतक लगी रहेगी, इस बारेमें भारत सरकारने फिलहाल स्पष्ट रूपसे कुछ नहीं कहा है लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्यमंत्री डॉक्टर हर्षवर्धनने पिछले महीने संसदमें एक बयानमें कहा था कि कोरोना वैक्सीनका निर्यात भारतीयोंकी कीमतपर नहीं किया जायगा।
देश कई राज्योंमें वैक्सीनकी कमी होनेके बाद अब अन्य वैक्सीन निर्माताओंकी वैक्सीनको भी देशमें मंजूरी दिये जानेकी अपील की जा रही थी। वैक्सीनसे जुड़े इन तमाम विवादोंके बीच अब एक और सवाल जोर-शोरसे पूछा जाने लगा है कि फ्री मार्केट और फ्री इकॉनमी होनेके बावजूद भारतमें फाइजर, मॉडर्ना और जॉनसन ऐंड जॉनसनकी वैक्सीनको एंट्री क्यों नहीं मिली है। विशेषज्ञोंके अनुसार स्पुतनिकके अलावा यह चार वैक्सीन जॉनसन एंड जॉनसनकी वैक्सीन, नोवावैक्स वैक्सीन, भारत बायोटेककी इंट्रानेजल यानी नाकसे दी जानेवाली वैक्सीन, जायडस कैडिलाकी वैक्सीनके अक्तूबरतक उपलब्ध होनेकी उम्मीद है। केंद्र सरकार द्वारा स्पुतनिक वैक्सीनको मंजूरी मिलनेके बाद देशमें वैक्सीनेशनकी रफ्तार तेज होगी। हालांकि इतने बड़े देशमें टीकाकरणके लिए कई और वैक्सीनको मंजूरी मिलनी चाहिए तभी इतनी बड़ी जनसंख्याका टीकाकरण समयपर हो पायेगा। कोरोना वायरस वैक्सीन स्पूतनिक-वी बनानेवाली कंपनीने दावा किया है कि यह वायरसके खिलाफ लगभग ९२ फीसदी कारगर है। कम्पनीने बताया कि वैक्सीनके क्लीनिकल ट्रायलके डेटाके तीन फाइनल कंट्रोल पॉइंट एनालिसिस करनेके बाद यह रिजल्ट सामने आया है। पहले कंट्रोल पॉइंटमें वैक्सीनका ९२ फीसदी प्रभाव दिखा था, जबकि दूसरे कंट्रोल पॉइंटमें यह आंकड़ा ९१.४ फीसदी आया। इसे बनानेवाली कंपनी गामलेया रिसर्च सेंटर फॉर एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजीने दावा किया है कि वैक्सीनने कोरोना वायरसके गंभीर मामलोंके खिलाफ सौ प्रतिशततक असर दिखाया है। स्पूतनिकको दोसे आठ डिग्रीके तापमानके बीच स्टोर किया जा सकता है। सीरम इंस्टिट्यूटकी वैक्सीन कोविशील्डके असरकी बात करें तो यह ६२ फीसदीसे ९० फीसदीके बीच कारगर पायी गयी है। कोविशील्डकी दो डोज चार-आठ हफ्तोंके अंतरालपर दी जाती हैं। हालमें सीरम इंस्टिट्यूटके सीईओने दावा किया था कि यदि दो डोजके बीच अंतराल बढ़ा दिया जाय तो वैक्सीन और ज्यादा असरदार साबित हो सकती है। केंद्र सरकारने जब भारत बायोटेककी कोवैक्सीनको आपातकालीन इस्तेमालकी मंजूरी दी थी तो इसके ट्रायलको लेकर कई तरहके सवाल उठे थे। कई एक्सपर्ट्सका कहना था कि ट्रायलका तीसरा चरण पूरा किये बिना इस तरह वैक्सीनको मंजूरी देना सही नहीं हैं। हालांकि भारत बायोटेक और केंद्रने इस तरहकी सभी आशंकाओंको खारिज किया था। अब इसी साल मार्चमें कंपनीने तीसरे चरणका ट्रायल पूरा होनेका दावा किया है। कंपनीका कहना है कि यह वैक्सीन ८१ फीसदीतक असरदार है। कोवैक्सीनको दोसे आठ डिग्री सेल्सियस तापमानके बीच स्टोर किया जा सकता है। स्पूतनिक कीमतको लेकर अबतक कुछ साफ नहीं है। अंतरराष्ट्रीय मार्केटमें इस वैक्सीनके दो डोजके कीमत अभी बीस डालरसे कम बतायी जा रही है, हालांकि हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तानमें इसकी दो डोज ८० डालर यानी लगभग १२००० पाकिस्तानी रुपये है। हालांकि एक्सपर्ट्स उम्मीद जता रहे हैं कि भारतमें स्पुतनिककी कीमत नियंत्रित की जायगी और यह प्रतिस्पर्धी रहेगी।
भारतमें टीकाकरण अभियान साल २०२१ की शुरुआतसे जारी है। लेकिन साढ़े तीन महीने बाद ही वैक्सीनकी कमीकी खबरें आ रही हैं। महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, हरियाणा, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और ओडिशाने वैक्सीनकी सप्लाईमें कमीकी शिकायत की है। लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्यमंत्री डाक्टर हर्षवर्धनने वैक्सीनकी कमीके इन दावोंको पूरी तरह नकार दिया है। उन्होंने कहा कि कुछ राज्य और नेता जन-स्वास्थ्य जैसे मुद्देके राजनीतिकरणमें लगे हैं और वैक्सीनकी कमी जैसी बातें कहकर बेवजह लोगोंमें घबराहट फैला रहे हैं। टीकेकी कमीकी वजहसे राज्योंमें टीकाकरण नहीं हो पा रहा है। उससे अनुमान है कि टारगेट शायद ही पूरा हो सके। वहीं विपक्षने कोरोनाकी वजहसे लगातार हो रही मौतोंके बीच केंद्रकी इस उत्सवधर्मितापर सवाल उठाये हैं। टीका उत्सवके पहले दिन सबसे बुरा हाल ओडिशाका रहा। राज्यमें वैक्सीन नहीं होनेकी वजहसे ९०० टीकाकरण केंद्र बंद रहे। उत्तर प्रदेशकी राजधानी लखनऊमें भी टीकाकरणके पहले दिन सामान्य दिनोंकी तुलनामें लगनेवाली वैक्सीनकी संख्या कम रही।
देशके विभिन्न राज्यों और शहरोंमें रातका कर्फ्यू लगाया गया है साथ ही कुछ जगहोंपर लाकडाउन भी किया गया जिसको लेकर आम लोगोंमें गुस्सा भी है क्योंकि एक तरफ पांच राज्योंमें चुनावी रैलियोंमें किसी भी तरहकी सोशल दूरीका पालन नहीं हो रहा है। बहुत लोगोंके मनमें यह प्रश्न होता है कि जब भीड़ दिनमें होती है तो रातमें कर्फ्यू क्यों तो असलमें यह सरकार और प्रशासनकी एक तरहकी रणनीति होती है। चूंकि पूरी तरह लॉकडाउन नहीं लगा सकते हैं, इसलिए जो पहले कम जरूरी होते हैं, उनपर रोक लगाते हैं। इसे एक तरहकी चेतावनी या अपील कह सकते हैं कि लोग वायरसके खिलाफ सतर्क रहें। आप देख सकते हैं, बहुत जरूरी होता है तभी कर्फ्यू लगाया जाता है। जबतक जनताका सहयोग नहीं मिलेगा, तबतक कोरोनाको नहीं हरा सकते हैं। पूरी तरहसे लॉकडाउन न लगाना पड़े, इसके लिए लोगोंको समझना होगा कि दिन या रातको बेवजह बाहर न जायं, मास्क लगायें और नियमोंका पालन करें। कोरोना वायरसको देखकर लगता है कि वह इतनी जल्दी जानेवाला नहीं है। हालांकि समयके साथ ही स्थिति और साफ होगी। कुल मिलाकर स्पुतनिक वैक्सीनकी मंजूरी मिलनेके बाद भी देशको कोरोनाके लिए अलग-अलग कंपनियोंकी कई वैक्सीनकी जरूरत होगी क्योंकि जिस हिसाबसे देशमें कोरोनाका संक्रमण बढ़ रहा है ऐसेमें इतनी बड़ी जनसंख्याके लिए टीकाकरण सरकारके लिए एक चुनौतीकी तरह होगा। इतने बड़े देशमें टीकाकरणके लिए कई और वैक्सीनको मंजूरी मिलनी चाहिए तभी इतनी बड़ी जनसंख्याका टीकाकरण समयपर हो पायेगा।