जस्टिस नूतलपति वेंकट रमण (NV Ramana) को फरवरी 2014 को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था. उन्होंने 10 फरवरी 1983 में वकालत शुरू की थी. जिस दौरान चंद्रबाबू नायडू आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, उस दौरान जस्टिस रमण आंध्र प्रदेश सरकार के एडिशनल एडवोकेट जनरल हुआ करते थे.
किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले एनवी रमण ने साइंस और लॉ में ग्रेजुएशन किया है. इसके बाद उन्होंने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट, केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट में कानून की प्रैक्टिस शुरू की. राज्य सरकारों की एजेंसियों के लिए वे पैनल काउंसेल के तौर पर भी काम करते थे. 27 जून 2000 में वो आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में स्थायी जज के तौर पर नियुक्त किए गए. इसके बाद साल 2013 में 13 मार्च से लेकर 20 मई तक वो आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश रहे.
2 सितंबर 2013 को जस्टिस रमण का प्रमोशन हुआ. इसके बाद वो दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ़ जस्टिस नियुक्त किए गए. फिर 17 फरवरी 2014 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया. पिछले कुछ सालों में जस्टिस रमण का सबसे चर्चित फैसला जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट की बहाली को लेकर रहा है. चीफ जस्टिस के कार्यालय को सूचना अधिकार कानून (RTI) के दायरे में लाने का फैसला देने वाली बेंच के भी जस्टिस रमण सदस्य रह चुके हैं.