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जॉर्डनः प्रिंस हमज़ा ने मध्यस्थता के बाद जताया शाह के लिए वफ़ादारी का संकल्प


जॉर्डन के पूर्व क्राउन प्रिंस हमज़ा हबिन हुसैन ने खुद को नजरबंद करने के आरोप के बाद अब जॉर्डन के शाह अब्दुल्ला के प्रति निष्ठा का वादा किया है.

दो दिन पहले ही उन्होंने बताया कि उन्हें घर में नज़रबंद कर दिया गया है और उनपर देश को अस्थिर करने की कोशिश करने का आरोप लगाया गया है.

41 वर्षीय प्रिंस हमजा बिन हुसैन ने मध्यस्थता के बाद एक बयान जारी कर रहा कि वह संविधान के लिए प्रतिबद्ध हैं.

अधिकारियों ने बताया कि शाह ने अपने चाचा प्रिंस हसन से इस तनाव को हल करने में मदद करने के लिए कहा था.

राजमहल की ओर से जारी हस्ताक्षर वाले बयान में प्रिंस हमज़ा ने कहा है, ”मैं खुद को शाह के हाथों में सौंपता हूं.. मैं जॉर्डन के संविधान के प्रति प्रतिबद्ध रहूंगा. ”

समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक़ पेशेवर मध्यस्थ और राजधराने के पारिवारिक मित्र मलिक दहलान ने एक अलग बयान जारी कर कहा कि मध्यस्थता ‘सफल’ रही. साथ ही उम्मीद जताई की जल्द कोई निष्कर्ष निकलेगा.

साल 2004 तक प्रिंस हमज़ा अपने सौतेले भाई किंग अब्दुल्ला के बाद गद्दी के पहले उत्तराधिकारी थे. इसके बाद उन्हें क्राउन प्रिंस की पदवी से हटा कर किंग अब्दुल्ला ने अपने बेटे को गद्दी का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया.

लेकिन प्रिंस हमज़ा और किंग अब्दुल्ला के बीच की ये सार्वजनिक तनातनी इससे पहले कभी नहीं देखी गई. हालांकि शाही घराने में बीते कुछ वक़्त से तनाव की बातें सामने आती रही हैं.

क्या है पूरा विवाद?

जॉर्डन में पूर्व क्राउन प्रिंस हमज़ा बिन हुसैन ने शनिवार को नज़रबंद होने की ख़बर दुनिया को बताई.

अपने वकील के जरिए बीबीसी को भेजे एक वीडियो में प्रिंस हमज़ा ने अपनी नज़रबंदी की ख़बर ख़ुद बताई थी.

उन्होंने कहा था कि चीफ़ ऑफ स्टाफ़ ने मुझे बताया कि आप न तो बाहर जा सकते हैं और न ही किसी से बात कर सकते हैं.

उनके अनुसार, ”सरकार ने आरोप लगाया है कि मैंने उसकी नीतियों की आलोचना की है या कई बैठकों में उनका विरोध किया है.”

प्रिंस हमज़ा का वीडियो

प्रिंस हमज़ा ने अपने वीडियो में कहा है, “शासन में टूट-फूट का जिम्मेदार मैं नहीं हूं, बल्कि हमारे शासन में पिछले 15 से 20 सालों से मौजूद भ्रष्टाचार और अक्षमता इसके लिए जिम्मेदार है.”

उन्होंने कहा कि ”सरकारी संस्थाओं में लोगों के कम हो रहे भरोसे के लिए भी मैं जवाबदेह नहीं हूं.”

प्रिंस के मुताबिक, ”हालत यहां तक ख़राब है कि कोई भी किसी मसले पर अपनी बात कह नहीं सकता, क्योंकि ऐसा करने पर उसे परेशान किया जाता है, धमकाया जाता है या गिरफ़्तार कर लिया जाता है.”

इस मामले में प्रिंस हमज़ा की मां और जॉर्डन के पूर्व शासक किंग हुसैन की पत्नी क्वीन नूर ने भी अपनी राय रखी है.

एक ट्वीट में उन्होंने कहा, “दुआ कर रही हूं कि इस बदनामी का दाग़ जिन बेगुनाहों पर लगा है, उनके मामले में सच की जीत होगी और न्याय होगा.”

तख़्तापलट का आरोप

जॉर्डन के उप-प्रधानमंत्री अयमान सफ़ादी ने प्रिंस हमज़ा पर सरकार के तख़्तापलट की कोशिश करने का आरोप लगाया है. सफ़ादी का आरोप है कि प्रिंस ने कबायली नेताओं को सरकार के ख़िलाफ़ एकजुट करने की कोशिश की थी.

स्थानीय समाचार एजेंसी पेत्रा से बातचीत में सफ़ादी ने कहा कि प्रिंस ‘विदेशी ताक़तों’ के साथ मिलकर देश को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे थे.

सरकार ने यह भी कहा है कि तख़्तापलट की कोशिश को ‘शुरू में ही ख़त्म’ कर दिया गया है. हालांकि इन आरोपों का खंडन करते हुए प्रिंस हमज़ा ने कहा है कि उन्होंने कोई ग़लत काम नहीं किया है और न ही वे किसी साजिश का हिस्सा रहे हैं.

ये संकट अभी ख़त्म नहीं हुआ है – विश्लेषण

बीबीसी प्रमुख अंतराष्ट्रीय संवाददाता लिज़ डुशेट इस पूरी घटना पर अपना विश्लेषण पेश करते हुए कहती हैं कि जॉर्डन संकटों की एक श्रृंखला का सामना कर रहा है जो बारीक़ी से आपस में जुड़े हुए हैं- एक पहले कभी ना देखी गई शाही परिवार की दरार, एक कथित साज़िश जिसमें ‘विदेशी संस्थाएं’ शामिल हैं और एक गहरा आर्थिक संकट जिससे असंतोष बढ़ रहा है.

लेकिन अभी के लिए जॉर्डन का शाही परिवार अपनी एकता को बनाए रखने की जद्दोजहद कर रहा है. प्रिंस हसन पर्दे के पीछे से अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं ताकि परिवार की एकता दुनिया की नज़र में दिखाई जा सके. वह राजा के वफ़ादार है. वहीं दूसरी ओर हैं प्रिंस हमज़ा जिनके आरोप और गतिविधियों ने शाही परिवार में लोगों को थोड़ा चौकन्ना किया है. जिसमें हाल ही मे प्रिंस हमज़ा उन कबायली लोगों से मुलाकात भी शामिल है जो किंग अब्दुल्ला के आलोचक हैं.

प्रिंस हमज़ा कौन हैं

प्रिंस हमज़ा देश के शासक किंग अब्दुल्ला द्वितीय के सौतेले भाई होने के साथ पूर्व शासक किंग हुसैन के बेटे भी हैं.

साल 1999 में किंग हुसैन के निधन के बाद किंग अब्दुल्ला जब शासक बने, तब उन्होंने अपने बेटे के बजाय सौतेले भाई हमज़ा को अपना वारिस बनाया था.

बताया जाता है कि प्रिंस हमज़ा की मां क्वीन नूर पूर्व शासक हुसैन की सबसे प्रिय रानी थीं.