नई दिल्ली। आगामी विधानसभा चुनावों से पहले सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा ने बड़ा दांव खेला है। अब सरकारी मंत्रालयों और विभागों में कॉन्ट्रैक्ट नौकरियों में भी अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को आरक्षण दिया जाएगा। यह फैसला जातीय जनगणना कराने की हो रही मांग के बीच आया है।
केंद्र ने रिट याचिका का दिया जवाब
केंद्र सरकार ने आरक्षण की मांग करने वाली एक रिट याचिका का जवाब देते हुए सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सरकारी विभागों में 45 दिन या इससे अधिक की कॉन्ट्रैक्ट नौकरी में एससी, एसटी और ओबीसी को आरक्षण दिया जाएगा। केंद्र ने यह भी कहा कि सभी मंत्रालयों और विभागों को अस्थायी पदों पर आरक्षण को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।
संसदीय समिति की रिपोर्ट का दिया गया हवाला
‘लाइव लॉ’ के मुताबिक, केंद्र सरकार के पदों और सेवाओं में नियुक्तियों के संबंध में, अस्थायी नियुक्तियों में एससी, एसटी और ओबीसी उम्मीदवारों को आरक्षण दिया जाएगा, जो 45 या उससे अधिक समय तक चलेगा।ओएम में एससी और एसटी के कल्याण पर संसदीय समिति की एक रिपोर्ट का हवाला दिया गया है। इसमें यह पाया गया है कि अस्थायी नौकरियों में आरक्षण के निर्देशों का अक्षरश: पालन सभी विभाग नहीं कर रहे हैं।
केंद्र ने जारी किए निर्देश
केंद्र ने सभी मंत्रालयों और विभागों से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है कि 45 दिनों या उससे अधिक समय तक चलने वाली सभी अस्थायी नियुक्तियों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण दिया जाएगा। इन निर्देशों को पालन करने के लिए सभी संबंधितों को सूचित करना चाहिए।
पीठ ने रिट याचिका किया निपटारा
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने रिट याचिका का निपटारा करते हुए स्पष्ट किया कि यदि इस कार्यालय ज्ञापन का उल्लंघन होता है तो याचिकाकर्ता या पीड़ित पक्ष कानून ने अनुसार उचित उपाय का सहारा लेने के लिए स्वतंत्र होगा। इसके साथ ही, पीठ ने केंद्र की ओर से पेश वकील का बयान दर्ज किया। इस बयान में कहा गया है कि 21 नवंबर 2012 के कार्यालय ज्ञापन का पालन करने में विफलता के मामलों से निपटने के लिए एक सिस्टम मौजूद है।
1968 से लागू है अस्थायी नियुक्तियों में आरक्षण की व्यवस्था
मालूम हो कि अस्थायी नियुक्तियों में आरक्षण की व्यवस्था 1968 से लागू है। इस संबंध में 2018 और 2022 में निर्देश भी जारी किए गए हैं।