सदानन्द शास्त्री
मेडिटेशन अर्थात ध्यान। ध्यान करना बहुत ही सरल है। मात्र पांच मिनटका ध्यान चमत्कारिक लाभ दे सकता है। ध्यानके कई अर्थ है। ध्यानका मूल अर्थ है जागरूकता, अवेयरनेस, होश, साक्षी भाव और दृष्टा भाव। विचारोंपर नियंत्रण है ध्यान। लेकिन ध्यानका अर्थ स्मरण और एकाग्रताको भी माना जाता है। सही मायनेमें ध्यानसे आप रिफ्रेश और रिचार्ज हो जाते हैं। निरोगी रहनेके लिए ध्यान करना जरूरी है। ध्यानसे उच्च रक्तचाप नियंत्रित होता है। सिरदर्द दूर होता है। ध्यानसे शरीरमें स्थिरता बढ़ती है। यह स्थिरता शरीरको मजबूत करती है। ध्यानसे मन और मस्तिष्क शांत रहता है। ध्यान आपके होशपर आच्छादित भावना और विचारोंके बादलको हटाकर शुद्ध रूपसे आपको वर्तमानमें खड़ा कर देता है। डॉक्टर कहते हैं कि डरसे आपकी प्रतिरोधक क्षमतापर असर पड़ता है। इसीलिए कहा गया है कि ध्यानसे शरीरमें प्रतिरक्षण क्षमता (इम्यून) का विकास होता है। ध्यान करनेसे तनाव नहीं रहता है। दिलमें घबराहट, भय और कई तरहके विकार भी नहीं रहते हैं। ध्यान करनेके लिए सबसे पहले स्नान आदिसे निवृत्त होकर कुश आसनपर सुखासनमें आंखे बंद करके बैठ जायं। बस आपको पांच मिनटतकके लिए आंखें बंद करके रखना है। इस दौरान शरीरको हिलाना-डुलाना नहीं है। इस दौरान आंखोंके सामनेके अंधेरेको देखते रहना और श्वासोंके आवागमनको महसूस करते रहना है। इस दौरान आपके भीतर कई विचार आयंगे और जायंगे। उन्हें होशपूर्वक देखें कि एक विचार आया और गया फिर ये दूसरा विचार आया। बस यही करना है। मानसिक हलचलको बस देखें। श्वासकी गति अर्थात छोडऩे और लेनेपर ही ध्यान देंगे तो मनसिक हलचल बंद हो जायगी। स्वयं करके देखें और समझें कि क्यों मैं व्यर्थके विचार कर रहा हूं। आप ये भी कर सकते हैं कि बाहरकी आवाजोंको ध्यानसे सुनते रहें। ध्यान दें गौर करें कि बाहर जो ढेर सारी आवाजें हैं उनमें एक आवाज ऐसी है जो सतत जारी रहती है। जैसे प्लेनकी आवाज जैसी आवाज, फेनकी आवाज जैसी आवाज या जैसे कोई कर रहा है ॐ का उच्चारण। अर्थात सन्नाटेकी आवाज। इसी तरह शरीरके भीतर भी आवाज जारी है। ध्यान दें। सुनने और बंद आंखोंके सामने छाये अंधेरेको देखनेका प्रयास करें। बस प्रतिदिन पांच मिनटतक यही करना है। एक दिन स्वत: ही ध्यान घटित होगा।