संयुक्त राष्ट्र। सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के स्थानीयकरण के भारतीय माडल की सफलता पर प्रकाश डालते हुए भारत के नीति आयोग के उपाक्ष्यक्ष सुमन बेरी ने कहा कि राष्ट्रों को उन माडलों की पहचान करनी चाहिए जिन्होंने परिणाम दिए हैं। हमारे पास शुरुआत से समाधान विकसित करने का समय नहीं है और शायद एसडीजी स्थानीयकरण का भारतीय माडल प्रासंगिक है।
सुमन बेरी बुधवार को संयुक्त राष्ट्र के उच्च स्तरीय राजनीतिक मंच पर ‘सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण का भारतीय माडल: 2030 का एजेंडा पूर्ण कार्यान्वयन की ओर’ विषय पर आयोजित विशेष सत्र को संबोधित कर रहे थे। उनकी टिप्पणी ऐसे समय आई है जब दुनिया भर के देश संयुक्त राष्ट्र के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में काम कर रहे हैं।
बेरी ने कहा कि कार्रवाई के इस दशक में सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने का मार्ग लंबा और चुनौतीपूर्ण है, लेकिन रोमांचक और आकर्षक है। यह कार्यक्रम नीति आयोग, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन व संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा आयोजित किया गया था। इस दौरान बेरी ने भारत में बीते छह-सात वर्ष की उपलब्धियां गिनाकर भारतीय माडल की प्रासंगिकता बताई।
वहीं संयुक्त राष्ट्र की उप प्रमुख अमीना मोहम्मद ने भारत सरकार और नीति आयोग की देश में सतत विकास लक्ष्यों को ‘उल्लेखनीय स्तर’ तक स्थानीय बनाने के लिए तारीफ करते हुए कहा कि ‘जैसे ही भारत सतत विकास की दिशा में आगे बढ़ेगा और लक्ष्यों को हासिल करेगा’, वैसे ही यह क्षेत्र और दुनिया भी इस दिशा में आगे बढ़ेगी।
संयुक्त राष्ट्र की उप-महासचिव ने कहा, ‘भारत में परस्पर रूप से जुड़े होने के संदेश को केंद्र से लेकर राज्यों और जिलों तथा व्यक्तिगत घरों तक जिस स्तर तक अपनाया गया है, वह वाकई शानदार है। मैं एसडीजी को इस उल्लेखनीय स्तर तक अपनाने के लिए भारत और नीति आयोग की सराहना करती हूं। सरकार के सभी स्तरों में योजना, बजट और निगरानी ढांचों में संकेतक एवं लक्ष्य अंतर्निहित हैं।’