पटना

पटना: न्याय के साथ विकास की यात्रा सरकार जारी रखेगी


विधानसभा में आर्थिक सर्वेक्षण पेश, लॉकडॉउन के समय बिहार के लोगों को मिला एक-एक हजार, 15 लाख लोगों को सख्ती से क्वारेंटाइन में रखा गया

(आज समाचार सेवा)

पटना। बिहार में एनडीए सरकार न्याय के साथ विकास की अपनी यात्रा आगे भी राजी रखेगी। आने वाले वर्षों में भी सरकार सात निश्चय-दो को जारी रखेगी। न्याय के साथ विकास की यात्रा जारी रखने का ऐलान आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया। सरकार ने आज विधानसभा में २०२०-२१ का आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया।

सर्वेक्षण रिपोर्ट में मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉकडॉउन के समय कठिनाई का सामना कर रहे बिहार के लोगों को कोरोना सहायता के रूप में प्रति राशन कार्ड धारी एक हजार की सहायता उपलब्ध करायी गयी, जिस पर १६२४ करोड़ खर्च हुए। लॉकडाउन के दौरान गरीब, गृहविहीन, विपदाग्रस्त और शहरी क्षेत्र में फंसे जरूरतमंदों को भोजन और आश्रय देने के लिए २७ मार्च, २०२० से आपदा राहत केंद्र खोले गए। साथ ही प्रखंड कोरेंटाइन शिविरों में सोसल डिस्टेंसिंग मानकों का सख्ती से पालन भी किया गया। शिविर जून, २०२० तक चले, जिसमें लगभग १५ लाख लोगों को सख्ती से कैरेंटाइन रखा गया।

आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट एक नजर में
२०१९-२० में १६३.८० लाख टन खाद्यान्न उत्पादन हुआ
२०१९-२० में ४५.४७ लाख पशुओं का इलाज हुआ
२०१९-२० में ३६.७६ लाख पशुओं का कृत्रिम गर्भोधान हुआ
२०१९-२० में १०४.८३ लाख टन दूध उत्पादन हुआ
२०१९-२० में २७४.०८ करोड़ अंडा का उत्पादन हुआ
२०१९-२० में १,६६,४३४ किसान क्रेडिट कार्ड वितरित हुए
२०१९-२० में कृषि आधारित कारखानों में ११.७ प्रतिशत वृद्धि हुयी
२०१९-२० में ६७४.०५ लाख क्विंटल ईख की पेराई हुयी
२०१९-२० में चीनी प्राप्ति का प्रतिशत १०.७२ प्रतिशत रहा
२०१९-२० में १२.३० लाख काम्फेड सदस्य हो गय
२०१९-२० में दुग्ध और उत्पादन की बिक्री बढ़ी
२०१९-२० में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन १३.७ प्रतिशत बढ़ी
२०१९-२० में पर्यटन विभाग का बजट २७५ करोड हुआ

सदन में आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में दावा किया गया कि बिहार ने देश-विदेश में विकास के मोर्चे पर उल्लेखनीय प्रगति की है। स्थिर मूल्य पर बिहार की अर्थव्यवस्था की वृद्घि दर २०१९-२० में १०.५ प्रतिशत थी, जो भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर से अधिक है। सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार २०१९-२० में सकल राज्य घरेलू उत्पाद वर्तमान मूल्य पर ६,११,८०४ करोड़ और २०११-१२ के स्थिर मूल्य पर ४,१४,९७७ करोड़ था।

राज्य में प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद वर्तमान मूल्य पर ५०,७३५ और २०११-१२ के स्थिर मूल्य पर ३४,४१३ था। सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने एक दशक से भी अधिक समय से लगातार वित्तीय विवेकशीलता दर्शायी है। २०१९-२० में राजकीय वित्त व्यवस्था के साधन टिकाऊ रहें। २०१९-२० में सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत में सकल राजकोषीय घाटा २.० प्रतिशत था। प्रारंभिक घाटा भी २०१९-२० में गत वर्ष की अपेक्षा कमी आयी।

२००४-०५ से ही बिहार राजस्व अधिशेष वाला राज्य रहा है। २०१९-२० में भी यह बना रहा। २०१९-२० में राजस्व व्यय १,२३,५३३ करोड़ और पूंजीगत व्यय २०,०८० करोड़ था। २०१९-२० में राज्य का अपना कर और करेतर राजस्व २०१८-१९ के ३३,५३९ से बढ़ कर ३३,८५८ करोड़ हो गया। २०१८-१९ में राज्य का अपना राजस्व २५.४ प्रतिशत था, जो २०१९-२० में बढ़ कर २७.३ प्रतिशत हो गया।

बिहार के कुल व्यय का हिस्सा भी निरंतर बढ़ रहा है। २०१५-१६ के राजस्व व्यय का हिस्सा ७४.४ प्रतिशत से बढ़ कर २०१९-२० में ८६ प्रतिशत हो गया। इसी अवधि में पूंजीगत लेखे में व्यय २०१५-१६ से घट कर १४ प्रतिशत रह गया। वहीं सामाजिक सेवाओं पर व्यय और विकासमूलक व्यय भी प्रमुख रहें।

इसी तरह बिहार में श्रम नियोजन, कृषि, वानिकी, मत्स्या खेट, कौशल विकास, भवन निर्माण, स्टेट हाईवे, नेशनल हाईवे, मुख्यमंत्री कौशल विकास, बिजली खपत, ग्रामीण विकास, मनरेगा, जन वितरण प्रणाली, पंचायती राज शहरी विकास, जलापूर्ति व्यवस्था, आजीविका मिशन, शौचालय निर्माण, बैंकिंग व्यवस्था, किसान क्रेडिट कार्ड वितरण, मुद्रा योजना, चिकित्सा सुविधा, मध्याह्नï भोजन, बाल विकास, पर्यावरण, जन्तु वायु परिवर्तन, पशु-पक्षी संरक्षण, बाढ़, सुखाड़, भूकंप, तूफान और चक्रवात के मार्चे पर भी बिहार ने बेहतर सफलता पायी है।