परीक्षार्थियों की कॉपियों में परीक्षकों के नाम पाती
(आज शिक्षा प्रतिनिधि)
पटना। इंटरमीडिएट परीक्षा की कॉपियों में परीक्षार्थियों ने परीक्षकों के नाम पाती भी लिखी है। भांति-भांति की पाती है। हर पाती का सार यह कि दया जरूर करियेगा। कीजियेगा। फेल मत कीजियेगा।
इंटरमीडिएट परीक्षा की कॉपियों की जांच अब समाप्ति पर है। परीक्षा में एक तो सख्ती और ऊपर से क्वेश्चन पेपर के दस सेट। ऐसे में परीक्षार्थियों के लिए दायें-बायें और आगे-पीछे ताक-झांक की गुंजाइश भी नहीं रही। और, अब जांच में कॉपियों में कोडिंग। सो, कॉपियां जांचने वाले परीक्षकों को भी नहीं पता कि उनके द्वारा जांची जा रही कॉपी किनकी या कहां की है।
हां, कोरोनाकाल को लेकर परीक्षार्थियों को इतनी राहत जरूर मिली कि परीक्षा में जितने प्रश्नों के उत्तर देने थे, उससे दूने सवाल उन्हें ऑप्शन के रूप में दिये गये। पर, ऐसे भी परीक्षार्थी हैं, जिन्होंने अपनी कॉपियों में परीक्षकों के नाम पाती लिख छोड़ी है। हर पाती में गुहार है पास कर देने की।
इंटरमीडिएट पास होने पर पचीस हजार रुपये की मिलने वाली राशि जिक्र करते हुए एक छात्रा ने अपनी हिंदी की कॉपी में परीक्षक को लिखा है कि पास जरूर कर दीजियेगा। फेल हो गयी, तो पचीस हजार रुपये हाथ से निकल जायेंगे। ऐसा जुलुम मत करियेगा। कम-से-कम पास तो कर ही दीजियेगा।
एक दूसरे परीक्षार्थी ने हिंदी की ही कॉपी में परीक्षक को लिखा है कि पापा प्राइवेट नौकरी करते थे। लॉकडाउन में छूट गयी। इससे घर-परिवार की माली हालत बिगड़ी हुई है। इसका असर परीक्षा की तैयारी पर पड़ा। अब तो, आप ही का आसरा है सर जी। पास करना मत भूलियेगा।
इससे इतर भूगोल की एक कॉपी में परीक्षार्थी ने परीक्षक को लिखा है कि घर की स्थिति ठीक नहीं है। पापा का हाथ बटाने के लिए काम करना मजबूरी है। पापा को हमसे काफी उम्मीद है। अगर फेल हो गये, तो उनकी उम्मीद टूट जायेगी। उनकी उम्मीद नहीं टूटने दीजियेगा सर जी।
एक अन्य परीक्षार्थी ने भूगोल की ही कॉपी में लिखा है कि बहन की शादी तय हो चुकी है। अगर फेल कर गया, तो उसके ससुराल वालों की नजर में मेरी तो इज्जत ही उतर जायेगी। मेरी इज्जत आपके हाथ में है सर जी … बचा लीजिये।
ऐसे भी परीक्षार्थी हैं, जिन्होंने अपनी कॉपियों में परीक्षक के लिए यह संदेश लिख छोड़ा है कि ‘प्लीज, कॉल मी सर!’ इसके नीचे उन्होंने अपना नम्बर भी लिख छोड़ा है।
बहरहाल, परीक्षकों पर परीक्षार्थियों की पाती का कोई असर नहीं है। सबके सब बेअसर हैं। इसलिए कि वे तो मूल्यांकन के नियमों से बंधे हुए हैं। पाती पढ़ तो ले रहे हैं, पर नम्बर उतने ही दे रहे हैं, जितने मिलने चाहिये।