पटना (आससे)। गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग का मुख्यालय बिहार में ही रहेगा। इस कार्यालय को यूपी के लखनऊ में ले जाने की बात को पूरी तरह खारिज कर दिया गया। जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने इस मामले को लेकर केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से बात की। केन्द्रीय मंत्री ने इसे सिरे से खरिज करते हुए उन्हें आश्वस्त किया कि कार्यालय बिहार में ही रहेगा। इसे वहां से हटाने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
जल संसाधान मंत्री झा ने कहा कि गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग (जीएफसीसी) जल संसाधन मंत्रालय का एक अधीनस्थ कार्यालय है। इसका मुख्यालय पटना में है। इसकी स्थापना 1972 में ही हुई थी। तब से ही मुख्यालय यहीं पर है। बाढ़ प्रबंधन की योजनाओं में आयोग की महती भूमिका होती है। पटना में मुख्यालय रखने का बड़ा कारण यह है कि सबसे ज्यादा बाढ़ प्रभावित क्षेत्र बिहार है। 76 प्रतिशत राज्य की आबादी बाढ़ से प्रभावित होती है।
मुख्यालय को पटना से लखनऊ ले जाने पर बाढ़ प्रबंधन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। यूपी की 30.44 प्रतिशत भूमि ही बाढ़ प्रभावित है जबकि बिहार में 73.106 प्रतिशत एरिया बाढ़ से प्रभावित होता है। ऐसे में इसे कहीं अन्यत्र ले जाने की साजिश वह कामयाब नहीं होने देंगे। इसको लेकर उन्होंने केन्द्र से बात भी कर ली है।
झा ने आरोप लगाया कि गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग के चेयरमैन यह साजिश कर रहे थे। वर्तमान चेयरमैन का रवैया बिहार के प्रति भेदभाव का रहा है। वह पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर काम करते हैं। वह बिना विभाग से बात किये आयोग के मुख्यालय को पटना से दूसरी जगह ले जाने का प्रस्ताव लेकर घूम रहे हैं। जबसे उनको जवाबदेही मिली है तब से बिहार के खिलाफ ही काम कर रहे हैं। उन्होंने पूरी जानकारी केन्द्रीय मंत्री को दे दी है। पिछले एक साल से बिहार के हित की सारी योजनाओं की खिलाफत वह करते रहे हैं।
उधर, आयोग के चेयरमैन एमएस ढिल्लन ने भी ऐसी किसी बात से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई प्रस्ताव था ही नहीं तो रोका कैसे जाएगा। कोई भी प्रस्ताव मेरे पास आएगा तो उसमें कारण की चर्चा भी होगी। लेकिन, ऐसा प्रस्ताव है ही नहीं।