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पतली आवाज में बात कर लड़के बिछा रहे हनी ट्रैप का जाल


जमशेदपुर। हनी ट्रैप का नाम तो आपने सुना होगा। हनी ट्रैप से माध्यम से खूबसूरत युवतियां फोटो, वीडियो या फिर मैसेज के जरिए ब्लैकमेल करती हैं। लेकिन जमशेदपुर पुलिस ने एक अलग ही मामला का खुलासा किया है। शहर के तीन युवक मिलकर लड़की की आवाज में शिकार को फांसते थे। शिकार होने वाले के मोबाइल व इंटरनेट मीडिया पर अश्लील वीडियो व मैसेज भेजा जाता था। इसके बाद ब्लैकमेल का सिलसिला शुरू हो जाता था।

पुलिस को फिलहाल मिली है 20 मामलों की जानकारी

बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश समेत दर्जन भर राज्यों के लोगों को शिकार बना वसूली की जाती थी। जमशेदपुर पुलिस फिलहाल 20 मामलों की जानकारी हासिल कर पाई है।

इस मामले में पुलिस ने जुगसलाई पंछी मोहल्ला निवासी 19 वर्षीय आसिफ रजा, परसुडीह थाना क्षेत्र गोलपहाड़ी जैन मंदिर के पास रहने वाला 18 वर्षीय जगजीत सिंह और परसुडीह शंकरपुर ग्रामीण बैंक के पास रहने वाला समीर शर्मा को गिरफ्तार किया है। एक आरोपित स्कूल का ड्राॅप आउट है, जबकि दो अन्य आगे की पढ़ाई कर रहे हैं।

आरोपियों के पास से दो मोबाइल बरामद किए गए हैं। इनमें एक मोबाइल में तीन नकली इंस्टाग्राम आइडी व एक वाट्सएप आइडी मिले हैं। इसमें अश्लील वीडियो और चैट मिले हैं। आइडी का इस्तेमाल कर लोगों को फर्जी हनी ट्रैप का शिकार बनाया जाता था। सबसे बड़ी बात यह कारनामा करने वाले युवक शहर के बड़े स्कूलों में पढ़ चुके हैं और फिलहाल आगे की पढ़ाई कर रहे हैं।

इसकी जानकारी देते हुए एसएसपी किशोर कौशल ने बताया कि आरोपितों से पूछताछ में कई जानकारियां मिली है जिस पर पुलिस काम कर रही है। कुछ आगे और भी जानकारी मिलेगी। फिलहाल आरोपितों के विरुद्ध साइबर अपराध थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई है। पुलिस इस मामले में पड़ताल के बाद ही और खुलासा करेगी।

आरोपितों ने किया चौंकानेवाला खुलासा

पूछताछ में पुलिस को आरोपितों ने बताया कि वे लोग पहले खूबसूरत युवतियों की फोटो लगाकर कई फेक इंस्टाग्राम आइडी बनाते थे। इसके बाद रैंडम तरीके से किसी को भी फाॅलो रिक्वेस्ट भेजकर बातें शुरू करते थे।

अगर किसी ने रिक्वेस्ट स्वीकार कर लिया तो उससे दोस्ती करना शुरू कर देते थे। चैट पर अश्लील बातें शुरू होती थीं। उसके बाद सामने वाले को वीडियो काॅल करने को कहते थे।

शिकार जब वीडियो काल करता तो खुद को युवती बताते हुए पहले से रिकार्ड की गई अश्लील वीडियो दिखाने लगते थे। शिकार व्यक्ति को लगता था कि यह लाइव वीडियो है।

इस दौरान शिकार व्यक्ति की हरकत का स्क्रीन रिकार्ड कर लिया जाता था। इसके बाद रिकार्ड की गई तस्वीर भेज ब्लैकमेलिंग का सिलसिला शुरू हो जाता था।

जाल में फांसने के बाद सामने वाले को वीडियो, अश्लील तस्वीरे इंटरनेट मीडिया पर सार्वजनिक कर देने और उनके सगे-संबंधियों को भेजने की बात कहकर ब्लैकमेल कर रुपयों की मांग करते थे। इज्जत के डर से शिकार व्यक्ति आरोपितों के अकाउंट में पैसा भेजना शुरू कर देते थे। गिरोह ने इसी तरह कई लोगों को शिकार बनाया।