बच्चों से पूछा बड़े होकर क्या बनोगे
छात्रों से मुखातिब संघ प्रमुख ने पूछा कि वे अपने जीवन में बड़ा होकर क्या बनना चाहते हैं। तब किसी छात्र ने डाक्टर, किसी ने इंजीनियर, आर्किटेक्ट, शिक्षक व चार्टर्ड एकाउंटेंट समेत अन्य का सपना बताया। जिस पर सरसंघचालक ने कहा कि यह तो मदरसे की पारंपरिक शिक्षा प्रणाली में संभव नहीं है। ऐसे में यहां की शिक्षा को आधुनिक करना होगा, ताकि इन छात्रों के सपने को साकार करने में मदद मिल सकें। मौके पर उनके साथ मौजूद आल इंडिया इमाम आर्गनाइजेशन के चीफ इमाम डा. उमेर अहमद इलियासी ने उन्हें बताया कि इस मदरसे में जल्द ही गणित, विज्ञान, अंग्रेजी के साथ संस्कृत और गीता की भी शिक्षा दी जाएगी। ताकि छात्र भारत और यहां की संस्कृति को अच्छी तरह से जान-समझ सकें।
सभी धर्मों का करें सम्मान
संवाद को आगे बढ़ाते हुए मोहन भागवत ने छात्रों से देश की सीमाओं के बारे में सवाल किए और देश के विभिन्न नामों के बारे में पूछा। साथ ही दूसरी की मान्यताओं का मजाक उड़ाने की जगह सभी धर्माें का सम्मान करने की सीख दी। कहा कि कोई भी किसी भी मत-पंथ का हो, सबसे पहले सभी भारतीय हैं। इसे जीवन में गांठ बांधकर रखना होगा। इसी तरह अगर दूसरों के धन को मिट्टी समझेंगे तो हर प्रकार के अपराध पर लगाम लगेगी और सभी अच्छे रास्ते पर चलेंगे।
नारी सम्मान सर्वोपरि
भागवत ने नारी सम्मान को सर्वोपरि बताते हुए कहा कि हमारे देश की यहीं संस्कृति है कि यहां नारियों का सम्मान होना चाहिए। अगर यह हुआ तो कई सारे अपराध खत्म होंगे। इसके पहले सरसंघचालक कस्तूरबा गांधी मार्ग स्थित मस्जिद इमाम हाउस में डा. उमेर अहमद इलियासी से मुलाकात करने पहुंचे। उनके साथ सहसरकार्यवाह डा. कृष्णगोपाल, अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख रामलाल तथा मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) के मार्गदर्शक व वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार थे। वहां बंद कमरे में करीब एक घंटे तक मंत्रणा चली, जिसमें हिंदू व मुस्लिम समाज के बीच आपसी संवाद बढ़ाने के साथ राष्ट्रनिर्माण में साथ चलने पर जोर दिया गया।
मोहन भागवत को बताया राष्ट्रपिता
ज्ञात हो कि डा. उमेर अहमद इलियासी के पिता मौलाना जमील अहमद इलियासी के भी पूर्व सरसंघचालक केएस सुदर्शन से अच्छे संबंध थे। इलियासी के मुताबिक वह भी कई मौके पर इस मस्जिद में आए थे और उनके पिता से संवाद करते थे। इस मौके पर उन्होंने मोहन भागवत को “राष्ट्रपिता’ व “राष्ट्र ऋषि’ बताते हुए कहा कि कुछ माह पहले उन्होंने संघ प्रमुख को मस्जिद और मदरसा आने का आमंत्रण दिया था, जिसे स्वीकार करते हुए वे आए। वहीं, संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने इस मुलाकात को सतत चलने वाली संवाद की प्रक्रिया बताते हुए कहा कि सरसंघचालक समाज जीवन के विभिन्न प्रकार के लोगों से मिलते रहते हैं। इंद्रेश कुमार ने कहा कि संघ प्रमुख पहली बार किसी मदरसे गए हैं और वहां के लोगों से संवाद किया है। यह यहीं रूकेगा, यह जारी रहेगा। इस तरह संवाद की कोशिशें चलती रहेंगी। बता दें कि सरसंघचालक की यह पहल संघ की उस अहम रणनीति का हिस्सा है, जिसमें वह मुस्लिम और इसाईयों से संवाद बढ़ाने पर जोर दे रहा है। ताकि धर्म आधारित गलतफमियों, दूरियों और संवादहीनता को दूर कर राष्ट्र निर्माण में सबकी व्यापक सहभागिता सुनिश्चित की जा सकें।