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पांच राज्यों के चुनाव के नतीजों में महिला और युवा वोटरों की रही निर्णायक भूमिका


नई दिल्ली, । पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के नतीजों में महिलाओं और युवाओं की निर्णायक भूमिका रही है। महिलाओं ने पुरुषों के मुकाबले अधिक मतदान किया है। चुनाव के दौरान महिलाओं को जहां ‘साइलेंट वोटर’ कहा जा रहा था, वहीं युवाओं को ‘वाइब्रेंट वोटर।’ विधानसभा चुनावों में इस बार महिला और युवा वोटरों ने जाति, धर्म और वर्ग से ऊपर उठकर मतदान किया। उन्होंने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भाजपा के पक्ष में मतदान कर सरकार बनाने का मौका दिया है तो पंजाब में आम आदमी पार्टी का समर्थन करते हुए एकतरफा वोट दिया। राजनीतिक तौर पर हाशिये पर रहने वाली महिला मतदाताओं के सशक्तीकरण का फायदा इन चुनावों में भाजपा को साफ तौर पर हुआ है। इससे स्प्ष्ट है कि किसी भी सरकार के लिए उनके मुद्दों से परहेज रखना आसान नहीं होगा।

महिलाओं के लिए केंद्र की योजनाओं का मिला लाभ

केंद्र सरकार की कई योजनाएं महिला सशक्तीकरण को लेकर चल रही हैं। इसका उन्हें सीधा लाभ मिल रहा है। जन धन खाता, उज्ज्वला, सौभाग्य योजना, बेसहारा, विधवा पेंशन, स्कूली बच्चियों को कई तरह की सहूलियतें, घरों में शौचालय, गरीबों के पक्के मकान, मुफ्त राशन, हर घर नल से जल पहुंचाने की योजना का सर्वाधिक लाभ महिला वर्ग को प्राप्त हो रहा है। सरकारी योजनाओं का लाभ सभी महिलाओं को समान रूप से मिल रहा है। यही वजह है कि उत्तर प्रदेश में 37 वर्षो बाद कोई सरकार लगातार दूसरी बार सत्तारूढ़ हो रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केंद्र की सभी योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू किया, जिसका वास्तविक लाभ लोगों तक पहुंचा है। राज्य की बालिकाओं और महिलाओं के लिए इससे भी बड़ी बात राज्य की पुख्ता कानून-व्यवस्था का होना है। उन्हें स्कूल, बाजार और कार्यस्थल पर जाने-आने में होने वाली दिक्कतों से निजात मिल गई है। सुरक्षा के इस अहसास भर से महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ा है। यही वजह है कि उन्होंने साइलेंट वोटर के रूप में भाजपा का साथ दिया है।

सरकारी भर्तियों और युवाओं के लिए योगी सरकार ने चलाईं कई लाभकारी योजनाएं

बदलते जमाने के हिसाब से युवा वर्ग पूरी तरह जागरूक है। पढ़ाई-लिखाई के साथ वह रोजगार के मुद्दे पर सरकार की नीतियों का हिसाब-किताब देख रहा था। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य की सरकारी रिक्तियों को भरने की प्रक्रिया पूरे पांच साल चलाई। इसमें पुलिस भर्ती और शिक्षकों की बड़े पैमाने पर भर्ती प्रमुख रही है। इन भर्तियों को पारदर्शी बनाने को प्राथमिकता दी गई। इसी तरह राज्य में सार्वजनिक और निजी निवेश लाने की योजनाओं को तेजी से अमली जामा पहनाया गया। इसके तहत डिफेंस कारिडोर से लेकर हर जिले में ‘वन डिस्टि्रक्ट वन प्राडक्ट’ योजना शुरू की गई। शहरों के ढांचागत विकास किए जा रहे हैं, जिससे ‘ईज आफ लीविंग’ को बढ़ावा मिला है। हर जिले में मेडिकल कालेज और अस्पताल खोलने के साथ विश्वविद्यालय स्थापित किए गए, जिससे युवाओं को बेहतर अवसर मिल सकता है। सरकार की कार्य प्रणाली को लेकर युवाओं की वाइब्रेंसी भाजपा के काम आई। युवा वर्ग के हितों को साधने को लेकर भी भाजपा हमेशा सतर्क रही है। युवाओं की रोजी-रोटी के साथ उनके कल्याण की कई योजनाएं केंद्र और राज्य स्तर पर चल रही हैं।

पुरुषों से आगे बढ़कर महिलाओं ने किया मतदान

उत्तर प्रदेश में इस बार महिलाओं ने आगे बढ़कर पुरुषों के 59.6 प्रतिशत के मुकाबले 62.2 प्रतिशत मतदान किया है। वर्ष 2007 में बसपा ने महिलाओं का 32 प्रतिशत वोट पाकर चुनाव जीत लिया था। इसी तरह वर्ष 2012 में जब 31 प्रतिशत महिलाओं ने समाजवादी पार्टी का समर्थन किया तो बसपा की सत्ता पलट गई और अखिलेश यादव की सरकार बन गई थी। लेकिन वर्ष 2014 में केंद्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार बनी तो उसका पूरा ध्यान महिला सशक्तीकरण पर रहा, जिसका नतीजा यह हुआ कि राज्य के अगले विधानसभा चुनाव (2017) में 41 प्रतिशत महिला मतदाताओं ने भाजपा के पक्ष में मतदान कर दिया। इससे वह बंपर सीटों से चुनाव जीत गई। भाजपा ने अपने इस साइलेंट वोटर के हितों का पूरा ध्यान रखा। वर्ष 2019 के संसदीय चुनाव में भाजपा के इस फार्मूले ने उसे एक बार फिर कामयाबी की बुलंदियों तक पहुंचा दिया। उत्तर प्रदेश चुनाव में महिलाओं के बीच यह नारा चर्चा में रहा-जिसने राशन और सुरक्षा दी, वोट उसी को देंगे।