- देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के भीतर की कलह आए दिन सतह पर आती रहती है, लेकिन कोई ठोस समाधान मिलता नहीं दिख रहा. पार्टी के सीनियर नेता सार्वजनिक रूप से बोल रहे हैं लेकिन शीर्ष नेतृत्व कोई क़दम उठाता नहीं दिख रहा.
कोई नेता अनदेखी का आरोप लगा रहा है तो कोई ख़ुद को असहाय महसूस कर रहा है. अपने ही लोग पूछ रहे हैं कि बिना स्थायी अध्यक्ष के पार्टी कैसे चल रही है और कौन चला रहा है.
पी चिदंबरम का रुतबा मनमोहन सिंह के दस सालों के कार्यकाल में किसी से छुपा नहीं है. लेकिन गुरुवार को वे भी बिफर गए. चिदंबरम ने गुरुवार रात क़रीब आठ बजे एक ट्वीट कर अपनी और पार्टी की हालत को बयां किया है.
उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है, ”जब हम पार्टी के भीतर कोई सार्थक बातचीत नहीं कर पाते हैं तो मैं बहुत ही असहाय महसूस करता हूँ. मैं तब भी आहत और असहाय महसूस करता हूँ जब एक सहकर्मी और सांसद के आवास के बाहर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के नारे लगाने वाली तस्वीरें देखता हूँ.”
कांग्रेस के भीतर असहमत सीनियर नेताओं का समूह- जी-23 है. इसमें कपिल सिब्बल, ग़ुलाम नबी आज़ाद से लेकर शशि थरूर तक हैं. इस समूह ने बुधवार को ही मांग की थी कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक बुलाई जाए. अब कांग्रेस ने सीडब्ल्यूसी की बैठक बुलाने की बात कही है.
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने अंग्रेज़ी अख़बार द हिन्दू से कहा है, ”शिमला छोड़ने से पहले कांग्रेस प्रमुख सोनिया गाँधी ने पहले ही संकेत दे दिया था कि कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक जल्द ही बुलाई जाएगी. यह बैठक आने वाले दिनों में होगी.” हालाँकि सूरजेवाला ने कोई तारीख़ नहीं बताई.
एक तरफ़ कांग्रेस पंजाब में संकट से जूझ रही है तो दूसरी तरफ़ बुधवार को कपिल सिब्बल ने एक विस्फोटक प्रेस कॉन्फ़्रेंस की और पूछा कि कांग्रेस का अभी कोई अध्यक्ष नहीं है तो पार्टी का फ़ैसला कौन ले रहा है.