पीसीआई अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर पीटीआई को बताया, ”जब हाल में विदेश से डोप परीक्षण करने वाले अधिकारियों की टीम संदीप द्वारा दी रहने के स्थान संबंधी जानकारी के आधार पर नमूने लेने पहुंची तो वह लापता हो गया. हो सकता है कि वह जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम परिसर से भाग गया है जहां वह ट्रेनिंग कर रहा था.” इंडोनेशिया में 2018 एशियाई पैरा खेलों में भाला फेंक में स्वर्ण पदक जीतने वाले 24 साल के चौधरी से प्रतिक्रिया के लिए संपर्क नहीं हो पाया है.
चौधरी उन तीन भारतीय पैरा एथलीटों में शामिल हैं जो अंतरराष्ट्रीय पैरालंपिक समिति (आईपीसी) के पंजीकृत परीक्षण पूल का हिस्सा हैं. टोक्यो पैरालंपिक के लिए क्वॉलिफाई कर चुके भाला फेंक के खिलाड़ी सुंदर सिंह गुर्जर और सुमित भी इस पूल का हिस्सा हैं. चौधरी सामान्यत: एफ-44 वर्ग में चुनौती पेश करते हैं जिनका एक पैर कटा होता है या एक या दोनों पैर में कमजोरी होती है. वे बिना कृत्रिम अंक के चुनौती पेश करते हैं.
अधिकारी ने कहा, ”वह आईपीसी के आरटीपी का हिस्सा था इसलिए उसे नियमित रूप से (प्रत्येक तीन महीने में) रहने के स्थान संबंधी जानकारी देनी होती थी और रहने के स्थान संबंधी फॉर्म में दी जानकारी के आधार पर डोप परीक्षण करने वाले बिना जानकारी दिए आए थे. संभावना है कि किसी ने विदेश से डोप परीक्षण करने के लिए आने वालों की जानकारी उसे दे दी हो.”उन्होंने कहा, ”कोविड-19 के खतरे के कारण खिलाड़ियों की मूवमेंट को लेकर कड़े नियम हैं और पता नहीं चला है कि संदीप ट्रेनिंग केंद्र को छोड़कर कैसे चला गया. जब कोई खिलाड़ी शिविर में आता या जाता है तो उसे पृथकवास के नियमों का पालन करना पड़ता है.” चौधरी अगर अगले 12 महीने में दो और परीक्षण ‘मिस’ करते हैं तो उन्हें पहले उल्लंघन के लिए सजा दी जा सकती है और उन्हें दो साल तक के प्रतिबंध का सामना करना पड़ सकता है.
पंजीकृत परीक्षण पूल में शामिल खिलाड़ी को अपने घर का पता, ट्रेनिंग स्थल की जानकारी, प्रतियोगिता कार्यक्रम के अलावा यह बताया होता है कि वह दिन में कब और कहां एक बार 60 मिनट के लिए उपलब्ध रहेगा जिससे कि उसका परीक्षण हो सके. अगर कोई खिलाड़ी 60 मिनट के समय के दौरान उपलब्ध नहीं रहता है तो माना जा सकता है कि वह परीक्षण ‘मिस’ कर गया.