खादी व हरिजनों के उत्थान के लिए उठाई थी आवाज
26 जनवरी 1900 में जन्मे पसाला कृष्णमूर्ति और उनकी पत्नी अंजलक्ष्मी पसाला मार्च 1921 में कांग्रेस में शामिल हुए थे जब गांधी जी विजयवाड़ा में थे। उन्होंने नमक सत्याग्रह आंदोलन में भी लिया था। कई बार जेल भी गए। खादी के लिए आवाज उठानेवाले पसाला ने हरिजनों के उत्थान के लिए भी आवाज उठाई। पसाला कृष्णमूर्ति ने भारत के स्वतंत्रता सेनानियों को मिलने वाले पेंशन को लेने से भी इंकार कर दिया था। उनका निधन 20 सितंबर 1978 को हुआ था।
आंध्र प्रदेश के सभी स्वतंत्रता सेनानियों को किया याद
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आंध्र प्रदेश के सभी स्वतंत्रता सेनानियों को नमन किया। उन्होंने कहा, ‘मैं आंध्र की इस धरती की महान आदिवासी परंपरा को, इस परंपरा से जन्मे सभी महान क्रांतिकारियों और बलिदानियों को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं। आंध्र प्रदेश वीरों और देशभक्तों की धरती है। यहां पिंगली वेंकैया जैसे स्वतंत्रता सेनानी हुए, जिन्होंने देश का झंडा तैयार किया था। ये कन्नेगंटी हनुमंतु, कन्दुकूरी वीरेसलिंगम पंतुलु और पोट्टी श्रीरामूलु जैसे नायकों की धरती है।’
‘सेनानियों के सपनों को पूरा करने की जिम्मेदारी हमारी’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आज अमृतकाल में इन सेनानियों के सपनों को पूरा करने की जिम्मेदारी हम सभी देशवासियों की है। हमारा नया भारत इनके सपनों का भारत होना चाहिए। एक ऐसा भारत- जिसमें गरीब, किसान, मजदूर, पिछड़ा, आदिवासी सबके लिए समान अवसर हों। आंध्र प्रदेश के लंबसिंगी में ‘अल्लूरी सीताराम राजू मेमोरियल जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय’ भी बनाया जा रहा है। विशेष रूप से देश ने अल्लूरी और दूसरे सेनानियों के आदर्शों पर चलते हुए आदिवासी भाई बहनों के लिए, उनके कल्याण और विकास के लिए दिन-रात काम किया है।’