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फर्जी नामों पर बनाई गई कंपनियों के माध्यम से विवो पर हजारों करोड़ रुपये की अवैध कमाई का आरोप


 नई दिल्ली। चीन की मोबाइल निर्माता कंपनी विवो पर मनी लांड्रिंग का शिकंजा कस गया है। पिछले चार-पांच सालों में विवो कंपनी द्वारा चीन को भेजे गए 47 हजार करोड़ रुपये संदेह के दायरे में है। इसमें से बहुत बड़ा हिस्सा फर्जी नामों पर बनाई गई पेपर या शेल (मुखौटा) कंपनियों के मार्फत की गई अवैध कमाई का हो सकता है। मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून के तहत विवो के खिलाफ केस दर्ज करने के बाद ईडी मंगलवार को 44 स्थानों पर छापा मारा।

दरअसल, ईडी ने दिल्ली पुलिस के आर्थिक अपराध शाखा में दर्ज केस को संज्ञान में लेते हुए मनी लांड्रिंग की जांच शुरू करने का फैसला किया था। दिल्ली पुलिस की एफआइआर के अनुसार जम्मू-कश्मीर में विवो के डिस्ट्रीब्यूटर कंपनी में कई चीनी नागरिक शेयरहोल्डर बने हुए थे, इन चीनी नागरिकों ने अपनी असली पहचान छुपाते हुए फर्जी दस्तावेज दिखाया था।

विवो के पूर्व निदेशक ने किया था फर्जी कंपनियां बनाने का काम

ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि शुरुआती जांच में यह साफ हो गया कि यह फर्जीवाड़ा सिर्फ जम्मू-कश्मीर में ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों में कंपनी ने किया है। ईडी के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार फर्जी नामों पर बनी फर्जी कंपनियां बनाने का काम विवो के पूर्व निदेशक ने किया था। ईडी के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार फर्जी नामों पर बनाई गई इन फर्जी कंपनियों का इस्तेमाल न सिर्फ भारत में टैक्स चोरी में किया गया, बल्कि इनके माध्यम से हजारों करोड़ रुपये चीन समेत दूसरे देशों में भेजे गए। इस अवैध रकम के कुछ अन्य बिजनेस में भी लगाए जाने की आशंका है।