- पश्चिम बंगाल में अब की बार किसकी सरकार बनेगी इसकी तस्वीर अब साफ हो गई है। ताजा रुझानों में सत्ताधारी टीएमसी पिछले चुनावों से भी अच्छा प्रदर्शन करती दिख रही है। शाम 5 बजे तक के रूझानों के अनुसार टीएमसी 212 सीटों पर आगे हैं। जबकि पिछली बार उसे 211 सीटें मिली थी। इस पूरे चुनावी की सबसे हॉट सीट पर जैसी उम्मीद थी , वैसी ही लड़ाई नंदीग्राम में देखने को मिली। शुरूआत 6-7 राउंड तक शुभेंदु अधिकारी ममता बनर्जी से करीब 7 हजार वोटों से आगे हो गए थे। लेकिन उसके बाद बाद ममता का जादू चला और वह 1200 मतों से कड़ी टक्कर के बाद शुभेंदु अधिकारी से जीत गई।
वहीं भाजपा के मंसूबे जरूर फेल हो गए लेकिन वह मजबूत विपक्ष के रूप में सामने आ गई है। और वामदल और कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया है। भाजपा को अभी तक के रूझानों के अनुसार 78 सीटें मिलती दिख रही हैं। जबकि वामदल गठबंधन को केवल एक सीट मिल रही है। यही नहीं इन चुनावों में बड़ी उम्मीदों से आए असददुद्दीन ओवैसी भी कोई कमाल नहीं दिखा पाए हैं। उनका भी खाता नहीं खुला है।
5 बजे तक अपडेट
भाजपा के कई दिग्गज पिछड़े
भाजपा के तीन बड़े चेहरे लगातार पिछड़ते नजर आ रहे हैं। टॉलीगंज सीट से सांसद बाबुल सुप्रियो लगातार पिछड़ते दिखाई दे रहे हैं। इस सीट पर टीएमसी के अरूप बिस्वास उनके मुकाबले आगे चल रहे हैं। अरूप बिस्वास सुप्रियो के मुकाबले फिलहाल 9,000 से ज्यादा वोटों से आगे चल रहे हैं।
पूर्व राज्यसभा सांसद और भाजपा की तरफ से तारकेश्वर सीट से उम्मीदवार स्वप्न दासगुप्ता पिछड़ते नजर आ रहे हैं। शुरुआती रुझानों में तारकेश्वर सीट से स्वपन दासगुप्ता 3 हजार से अधिक वोटों से पिछड़ते दिखाई दे रहे हैं। तारकेश्वर सीट पर स्वपन दासगुप्ता को टीएमसी के रामेंदु सिंहाराय टक्कर दे रहे हैं। तारकेश्वर विधानसभा सीट हूगली जिले में आता है।
एक्ट्रेस से नेता बनीं लॉकेट चटर्जी भी पीछे चल रही है। बीजेपी की तरफ से चटर्जी चुनचुरा विधानसभा सीट से शुरुआती रुझानों में पिछड़ती दिखाईं दे रही हैं। इस सीट पर लॉकेट चटर्जी को टीएमसी के वर्तमान विधायक असित मजूमदार टक्कर दे रहे हैं।
कई दशकों से टीएमसी के साथ रहने वाले रविंद्र भट्टाचार्य ने चुनाव से पहले पाल बदलकर बीजेपी में शामिल हो गए थे। वो सिंगुर आंदोलन में ममता के साथी थे। आ रहे रूझान में सिंगुर से वो पिछड़ते हुए नजर आ रहे हैं। उन्हें टीएमसी के बेचराम मन्ना टक्कर दे रहे हैं। अभी दोनों के बीच सात हजार से अधिक वोटों का अंतर दिखाई दे रहे हैं।
इस बार राज्य में 27 मार्च से 29 अप्रैल के बीच आठ चरणों में मतदान कराया गया। इस दौरान हिंसा की कुछ छिटपुट घटनाएं भी हुई थी।
ममता का कद बढ़ा
जिस तरह भारतीय जनता पार्टी ने पूरे चुनाव को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना दिया था। उसे देखते हुए लगातार तीसरी बार भारी बहुमत की जीत ने ममता बनर्जी का कद बढ़ा दिया है। उनके नेतृत्व में टीएमसी पहली बार 214-15 सीटें जीतती नजर आ रही है। ऐसे में आने वाले समय में वह विपक्ष को एकजुट करने में बड़ी धुरी भी साबित हो सकती हैं।