पिछले वर्ष हुए बिहार विधानसभा चुनाव में जिस तरह राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद की अनुपस्थिति में तेजस्वी यादव ने परिश्रम कर राज्य में सबसे अधिक सीट पार्टी को दिलवाई है, उसके बाद लालू प्रसाद भी तेजस्वी की तारीफ कर रहे हैं।
राजनीतिक समीक्षक मणिकांत ठाकुर भी कहते हैं, राजद का वोटबैंक माने जाने वाले मतदाता भी पूरे तौर पर लालू प्रसाद के उत्तराधिकारी के रूप में तेजस्वी को मान चुके हैं। उनकी नजर में लालू प्रसाद के उत्तराधिकारी तेजप्रताप हो ही नहीं सकते। ऐसी स्थिति में तेजप्रताप को लेकर राजद कोई भी रिस्क उठाने को तैयार नहीं होगा।
तेजप्रताप अपने छोटे भाई तेजस्वी को ही मुख्यमंत्री बनाने की बात करते रहे हैं। हालांकि उनकी बयानबाजी से राजद को नुकसान पहुंचने का भी पार्टी को भय सता रहा है।
राजद के नेता इस मामले पर बहुत ज्यादा खुालकर तो नहीं बोलते हैं, लेकिन राजद के एक नेता ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर कहा कि पार्टी की मजबूती के लिए अनुशासन जरूरी है।