- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद टूवीट कर बिहार में लॉकडाउन बढ़ाने की जानकारी दी और साथ में ये भी कहा कि लॉकडाउन का सकारात्मक प्रभाव दिख रहा हैं. बिहार में 5 मई से लॉकडाउन लगाया गया तब से कोरोना संक्रमण के आंकड़ों में लगातार कमी आ रही है. यही वजह है कि मुख्यमंत्री ने इसे सकारात्मक प्रभाव बताया है, अब सवाल उठता है कि अगर यह लॉकडाउन 9 या 18 अप्रैल को लग जाता तो स्थिति और अच्छी रहती तो क्या लॉकडाउन लगाने में नीतीश सरकार ने देर कर दी.
यह सवाल फिर से उठने लगा है. लॉकडाउन लगने के सिर्फ कुछ दिनों में जिस तरह से बिहार में संक्रमण के आंकड़ों में कमी आई है. वह गौर करने वाली बात है. 5 मई को जब लॉकडाउन लगाया गया तब बिहार में संक्रमण की दर लगभग 15 फीसदी थी जो अब घटकर 8.9 पर पहुंच गई है.
जानकार भी मानते हैं कि लॉकडाउन का फैसला कुछ समय और पहले लिया गया होता तो बिहार में बड़ी राहत होती. यहां तक कि 17 अप्रैल को जब राज्यपाल की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक में कुछ नेताओं ने नाइट कर्फ्यू की जगह तीन दिन का साप्ताहिक लॉकडाउन या पूर्ण लॉकडाउन लगाने की मांग की थी. लेकिन इसे नीतीश सरकार के अधिकारियों की अदूरदर्शिता कहें या कुछ और, उन्होंने पूर्ण लॉकडाउन की जगह नाइट कर्फ्यू लगाने की सलाह दी. लगभग दस दिन तक नाइट कर्फ्यू लगाए जाने के बाद भी बिहार में कोरोना संक्रमितों की संख्या में कोई कमी नहीं आई. वहीं हर दिन औसतन 100 के करीब लोग अपनी जान गंवाते रहे.