उपेंद्र ने कहा कि इतिहास गवाह है कि मेरे लिए पद नहीं, मिशन बड़ा है। आइडियोलाजी (विचारधारा) बड़ी है। इसी आइडियोलाजी को बर्बाद करने के हो रहे षड्यंत्र को असफल करने के एक खास मिशन से मैंने अपनी पार्टी (राष्ट्रीय लोक समता पार्टी) का जदयू में विलय किया। हमारे सभी साथियों का यह निष्कर्ष था और है कि राज्य ही नहीं, पूरे देश के स्तर पर नीतीश कुमार एकमात्र कर्मठ, अनुभवी एवं साफ छवि के नेता हैं, जिनके नेतृत्व में इस विचारधारा को बचाया जा सकता है। उपेंद ने कहा कि यह बात मैं एलानिया तौर पर कहना चाहता हूं कि आज की तारीख में पार्टी संगठन के लिए काम करना हमारे लिए सबसे बड़ा धर्म है। ऐसे में मेरा प्रश्न जाने बिना जो लोग यह कह रहे कि मैं मंत्री नहीं बनने से नाराज हूं, वे लोग मुझ पर कृपा करें।
उपेंद्र ने अटकलों को किया खारिज
बता दें कि इसी महीने नीतीश कुमार के जदयू ने एनडीए से अलग होकर महागठबंधन के साथ जा नई सरकार बना ली थी। इसके बाद मंत्रिमंडल को लेकर चर्चा होने लगी। कहा जाने लगा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा को राज्य कैबिनेट में जगह मिल सकती है। कैबिनेट में जब उपेंद्र शामिल नहीं हुए तो फिर चर्चा उड़ी कि वह नाराज हैं। हालांकि उपेंद्र ने ऐसी सभी अटकलों को खारिज कर दिया।