- अधिसूचना के बाद तत्काल सौंपा नगर आयुक्त को प्रभार और बगैर फेयरवेल के रवाना हुए नये पोस्टिंग पर
बिहारशरीफ (नालंदा)। नालंदा के 37वें डीएम रहे योगेंद्र सिंह ने नगर आयुक्त तरणजोत सिंह को प्रभार देकर जिले को अलविदा कह दिया। वे अपने नये पदस्थापना वाले जिला समस्तीपुर के लिए निकल पड़े। नालंदा जिला गठन के बाद योगेंद्र सिंह 37वें जिलाधिकारी थे। लेकिन स्थानांतरण के बाद जिस तरह वे नालंदा से लौटे शायद यह नालंदा के लिए अब तक का इतिहास रहा।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सुबह 8 बजे जिलाधिकारी ने कर्मियों को अपनी गाड़ी लगाने कहा वह भी बगैर अंगरक्षक के। फिर ठीक 8 बजे एक ट्रॉली और एक झोला लेकर जिलाधिकारी अपनी गाड़ी में बैठे और सीधे बिहारशरीफ रेलवे स्टेशन पहुंची जहां टिकट काउंटर से श्रमजीवी एक्सप्रेस का टिकट लिये और फिर अकेले पटना के लिए रवाना हो गये। रेलवे स्टेशन पर श्रमजीवी एक्सप्रेस पकड़ने आये सैकड़ों लोग यह देखकर स्तब्ध थे कि स्थानांतरण के बाद किस सादगी के साथ योगेंद्र सिंह ने जिला को छोड़ा।
बताया जा रहा है कि स्थानांतरण की अधिसूचना के साथ ही रात में ही वरीय आइएएस अधिकारी व नगर निगम के नगर आयुक्त तरणजोत सिंह को बुलाकर जिले का प्रभार दिया और आज सुबह उप विकास आयुक्त वैभव श्रीवास्तव को बुलाकर नालंदा के जिलाधिकारी का आधिकारिक सिम सौंपा और जिले से प्रस्थान कर गये।
बताते चले कि योगेंद्र सिंह 2012 बैच के आईएएस अधिकारी है, जो ऑल इंडिया में 28वां रैंक लाये थे। वे पहले पटना सिटी के एसडीओ, बेतिया के उप विकास आयुक्त और शेखपुरा के जिलाधिकारी रह चुके है। उत्तर प्रदेश के उन्नांव जिले के हरिपुर के रहने वाले योगेंद्र सिंह की पहचान जिले में एक तेजतर्रार एवं भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करने का रहा है। वे लगभग 35 महीने तक नालंदा में जिलाधिकारी के रूप में रहे।
पहले भी जब किसी वरीय अधिकारी का जिले से स्थानांतरण हुआ है तो योगेंद्र सिंह का प्रयास रहा था कि अधिसूचना के तुरंत बाद प्रभार अगले अधिकारी को सौंप दिया जाय। इनके कार्यकाल में उप विकास आयुक्त और नगर आयुक्त को स्थानांतरण के दिन ही फेयरवेल दिया गया था। हालांकि योगेंद्र सिंह खुद अपना फेयरवेल नहीं लिये, जबकि उनके अधीनस्था अधिकारियों ने इसकी तैयारी शुरू कर दी थी, लेकिन लोगों को अचानक पता चला कि वो जिले से प्रस्थान कर गये।