इस अस्पताल में 6 चिकित्सक और 16 मेडिकल स्टाफ लेकिन छः महीने में हुआ है मात्र 28 प्रसव
बिहारशरीफ (आससे)। कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की किल्लत के बाद बिहार सरकार काफी गंभीर रही है। संभावित तीसरी लहर को देखते हुए जिले में ऑक्सीजन प्लांटों का निर्माण का काम तेजी से चल रहा है। इसके तहत विम्स पावापुरी, बिहारशरीफ सदर अस्पताल के अलावे हिलसा एवं राजगीर अनुमंडलीय अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट लगाने का काम या तो पूरा हो चुका है या चल रहा है, लेकिन इसी बीच जिले में एक और सरकारी अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट लगाने की बात सामने आयी है। यह अस्पताल है रेफरल हॉस्पीटल कल्याण बिगहा।
मुख्यमंत्री के गांव होने के कारण शायद राज्य सरकार के अधिकारियों ने इस अस्पताल का चयन ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए किया है। यह एक अच्छी पहल है लेकिन सवाल उठता है कि अगर सभी सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाना होता तो यह निश्चित रूप से वाजिब थी अन्यथा जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में जब ऑक्सीजन प्लांट लगा है तो निश्चित तौर पर इस्लामपुर, चंडी या फिर हरनौत आदि अस्पतालों में यह ऑक्सीजन प्लांट लगा होता तो लोगों को ज्यादा से ज्यादा फायदा होता। क्योंकि वहां अधिक से अधिक लोग आपात स्थिति में इलाज के लिए भर्ती हो पाते है।
आरएच कल्याण बिगहा में रोगियों की तादाद ओपीडी में निश्चित तौर पर अच्छी है, लेकिन जितने स्वास्थ्य कर्मी और चिकित्सक यहां पदस्थापित है। इसके साथ ही जिस तरह की सुविधाएं है उसके अनुसार इस अस्पताल में प्रसव रोगियों की संख्या नगण्य ही कही जा सकती है। पिछले छः महीनों में इस अस्पताल में मात्र 28 महिलाओं का प्रसव कराया गया है। जनवरी, फरवरी महीने में चार-चार, जबकि मार्च, अप्रैल, मई और जून महीने में पांच-पांच महिलाओं का प्रसव हुआ है। ओपीडी की बात करें तो 6 महीने में 10719 रोगियों ने यहां अपना इलाज करवाया है। जनवरी महीने में 1702, फरवरी में 2088, मार्च में 2480, अप्रैल में 1539, मई में 810 तथा जून महीने में 2100 रोगी ओपीडी में इलाज कराये है।
अब यहां पदस्थापित चिकित्सक एवं चिकित्सा कर्मियों पर नजर डालें तो जिस अस्पताल में छः डॉक्टर पदस्थापित है, 10 जीएनएम पदस्थापित है, एक लैब टेक्निशयन, एक एक्सरे टेक्निशियन, एक फार्मासिस्ट, चार ग्रेड टू के कर्मी के अलावे एक क्लर्क सहित कुल 16 स्वास्थ्य कर्मी पदस्थापित है। जिले के कई प्रखडों में भी चिकित्सक एवं कर्मियों की पदस्थापना इतनी मात्रा में नहीं रही है। जबकि ओपीडी में रोगियों की संख्या और प्रसूति की संख्या इससे काफी अधिक रही है।