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ब्रिटेन की नई पीएम लिज ट्रस के लिए आसान नहीं होगी राह, कई चुनौतियों से पाना होगा पार


नई दिल्‍ली  ब्रिटेन में नए प्रधानमंत्री के रूप में लिज ट्रस को चुन लिया गया है। उन्‍होंने कड़े मुकाबले के बाद भारतीय मूल के ऋषि सुनक पर जीत दर्ज की है। शुरुआती मुकाबले में पिछड़ने के बाद उन्‍होंने बाद में लगातार ऋषि पर अपनी बढ़त को कायम रखा। लिज ब्रिटेन की तीसरी महिला प्रधानमंत्री होंगी। उनसे पहले मार्गेट थेचर और थेरेसा मे ये पद संभाल चुकी हैं। ब्रिटेन के पीएम के रूप में उन्‍होंने जीत भले ही हासिल कर ली है, लेकिन देश की जो हालत है उसको देखते हुए कहा जा सकता है कि उनके लिए ये राह आसान नहीं होने वाली है। उनके सामने कई तरह की चुनौतियां सिर उठाए हुए हैं जिनपर पार पाकर ही वो एक लोकप्रिय नेता और पीएम साबित हो सकेंगी।

बेरोजगारी की समस्‍या

देश के सामने सबसे बड़ी समस्‍या बेरोजगारी की है। कोरोना महामारी से बुरी तरह से टूट चुके ब्रिटेन में लगातार बेरोजगारी की दर बढ़ी है। मौजूदा वर्ष की दूसरी तिमाही में बेरोजगारी की रद करीब 4 फीसद तक जा पहुंची है। जनवरी से मार्च के बीच ये काफी कम थी। देश में बीते तीन माह के दौरान ही करीब 51 हजार बेरोजगार बढ़ गए हैं। इससे पहले इस तरह से बेरोजगारों की संख्‍या फरवरी-मार्च 2021 में देखी गई थी। बाजार की हालत इस कदर खराब है कि जानकारों ने अनुमान लगाया था कि मौजूदा वर्ष की पहली तिमाही में करीब ढाई लाख लोगों को रोजगार उपलब्‍ध करवाया जा सकेगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस दौरान 1.60 लाख लोगों को ही नौकरियां मिलीं। ऐसे में देश के युवाओं को सबसे बड़ी जरूरत नौकरी की है। लिज के लिए ये एक बड़ी चुनौती है।

महंगाई का मुद्दा

देश में फैली महंगाई एक ऐसा मुद्दा है जिस पर यदि लिज ने पार पा लिया तो वो खुद को बेहतर पीएम साबित कर सकेंगी। मौजूदा समय में महंगाई की दर 10 फीसद को पार कर चुकी है। जून में ये दर 9.4 फीसद थी। सरकारी आंकड़ों की मानें तो तीन देशक के बाद देश में महंगाई की दर अपने चरम पर दिखाई दे रही है। जनवरी में ही सके 11 फीसद तक जाने की आशंका जताई गई थी, उस वक्‍त ये 7 फीसद से कम थी। रोजगार की कमी और महंगाई में उछाल से देशवासियों के लिए समस्‍याएं बढ़ गई हैं। हर कोई इनका निवारण जल्‍द चाहता है। ये देखना दिलचस्‍प होगा कि लिज इन मुद्दों पर क्‍या कदम उठाती हैं।

कोरोना के मामले बादस्‍तूर जारी

ब्रिटेन में कोरोना के अब तक 2.35 करोड़ मामले सामने आ चुके हैं। इस महामारी ने 2 लाख से अधिक लोगों की जान भी ली है। अब भी ब्रिटेन में 25 हजार से अधिक ही मामले सामने आ रहे हैं। सरकार के ताजा आंकड़ों के मुताबिक इससे होने वाली हालिया मौतों की संख्‍या कम भले ही हुई है लेकिन अब भी ये 400 से अधिक बनी हुई है। इसी तरह से देश में वैक्‍सीनेशन की बात करें तो देश में 93.5 फीसद लोगों को पहली डोज, 88.1 फीसद को दोनों खुराक और 69.3 फीसद को बूस्‍टर डोज दी जा चुकी है।

मंकीपाक्‍स के मामलों में तेजी

मंकीपाक्‍स के मामले में भी ब्रिटेन की हालत नाजुक कही जा सकती है। यहां के आंकड़े बताते हैं कि देश में 3195 से अधिक मंकीपाक्‍स के मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से सबसे अधिक मामले पुरुषों में हैं। खास बात है कि ये मामले अधिकतर 36 वर्ष की आयु के व्‍यस्‍कों में सामने आए हैं।

ब्रिटेन की अर्थव्‍यवस्‍था

आपको बता दें कि ब्रिटेन की अर्थव्‍यवस्‍था में मैन्‍यूफैक्‍चरिंग सेक्‍टर का 21 फीसद, हैल्‍थ सेक्‍टर का 19 फीसद, रियल स्‍टेट का 12 फीसद, रिटेल का 11 फीसद, फाइनेंस और इंश्‍योरेंस का 8 फीसद, कंस्‍ट्रक्‍शन सेक्‍टर का 6 फीसद और कृषि का 1 फीसद योगदान है। मौजूदा समय में ये सभी सेक्‍टर कम उत्‍पादन कर रहे हैं। इसकी वजह एनर्जी क्राइसेस, इंफ्लेशन, कोरोना महामारऔर दूसरे अंतरराष्‍ट्रीय कारण भी हैं। लिज को अन्‍य मुद्दों के साथ इनके सामने आने वाली चुनौतियों से भी निपटना जरूरी होगा।