भाजपा वापस उम्मीदवार देने की तैयारी में
गोपालगंज भाजपा की सीट रही है। 2020 में इस सीट से भाजपा कोटे से सुभाष सिंह ने चुनाव जीता और राज्य की एनडीए सरकार में मंत्री बनाए गए। अलग बात है कि अपने खराब स्वास्थ्य को लेकर वे मंत्री बनने के बाद भी लगातार दिल्ली में इलाजरत रहे और बाद में इलाज का दौरान की उनका निधन भी हो गया। अपने प्रत्याशी के निधन के बाद भाजपा वापस यहां से उम्मीदवार देने की तैयारी में है।
सहनी का भाजपा से मुकाबला
मुकेश सहनी की वीआइपी भी एलान कर चुकी है कि गोपालगंज में वह अपना प्रत्याशी देगी और उसका मुकाबला सीधे भाजपा प्रत्याशी से होगा। उपचुनाव की दूसरी सीट मोकामा है। इस सीट से राजद उम्मीदवार अनंत सिंह ने चुनाव जीता था। लेकिन घर में आग्नेयास्त्र रखने के आरोप में उन्हें आरोपी करार दिए जाने के बाद उनकी सदस्यता रद हो गई। मुकेश सहनी अनंत की सदस्यता रद होने के तत्काल बाद कह चुके हैं कि वे मोकामा से भी उम्मीदवार उतारेंगे। भाजपा भी इस सीट से अपना उम्मीदवार देगी। मुजफ्फरपुर की कुढ़नी सीट से राजद प्रत्याशी अनिल सहनी ने बीते चुनाव जीत दर्ज कराई थी। लेकिन एलटीसी घोटाले में सजा सुनाए जाने के बाद सहनी की सदस्यता रद होना तय है।
दोस्ताना संघर्ष कर सकती है वीआइपी
कुढ़नी मल्लाह बाहुल सीट है। राजद यहां से अपना प्रत्याशी देगी। वीआइपी भी इस सीट से उम्मीदवार देने पर मंथन कर रही है। इन दो दलों के साथ ही भाजपा भी यहां से किस्मत आजमाएगी। विकासशील इंसान पार्टी के अंदरुनी सूत्र बताते हैं कि भाजपा के प्रत्याशी देने की स्थिति में पार्टी राजद के साथ दोस्ताना संघर्ष कर सकती है और भाजपा के लिए राह मुश्किल कर सकती है।
जहां बीजेपी वहां सहनी उतारेंगे प्रत्याशी
वीआइपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता देव ज्योति कहते हैं कि हमारा सीधा फैसला है, भाजपा जहां से उम्मीदवार देगी वहां से वीआइपी अपना प्रत्याशी देगी। कुछ सीटें ऐसी हो सकती हैं जहां महागठबंधन का उम्मीदवार होगा। हमारा शीर्ष नेतृत्व की महागठबंधन के शीर्ष नेतृत्व से इस मुद्दे पर बात होगी। जो निर्णय होगा पार्टी उसके अनुरूप कार्य करेगी। देव ज्योति ने कहा कि फिलहाल वीआइपी उप चुनाव की तीनों सीटों पर उम्मीदवार देने की तैयारी कर रहे हैं। हमारे निशाने पर भाजपा है उसे पराजित करना हमारा लक्ष्य है। बहरहाल उपचुनाव की तीन सीटों को लेकर हो रहे तमाम दावों के बीच हकीकत यह है कि वीआइपी अध्यक्ष मुकेश सहनी के लिए उपचुनाव में राह आसान नहीं होगी, लेकिन वे भाजपा के लिए बड़ा खतरा जरूर बनेंगे।