नई दिल्ली। भारत और ब्रिटेन ने एक-दूसरे देश की डिग्री को मान्यता देने के फैसला किया है। इन डिग्री में 10वीं 12वीं ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन शामिल है। आनलाइन माध्यम से ली गई डिग्री को भी दोनों देश मान्यता देंगे। लेकिन इंजीनियरिंग, मेडिकल जैसे किसी भी प्रोफेशनल कोर्स को इस फैसले में शामिल नहीं किया गया है। फैसले के मुताबिक ब्रिटेन से ग्रेजुएट होने वाले छात्र को भारत में भी ग्रेजुएट माना जाएगा।
उन्हें उस डिग्री के आधार पर भारत में सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करने या उच्च शिक्षा की पढ़ाई के लिए किसी संस्था या सरकार की इजाजत नहीं लेनी होगी। ऐसी ही व्यवस्था ब्रिटेन में भारत से प्राप्त डिग्री के लिए लागू की जाएगी। अभी ब्रिटेन से बीए व एमए करके आने पर आवेदन के लिए सरकारी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। गुरुवार को दोनों देशों के वाणिज्य सचिव के बीच शिक्षा, स्वास्थ्य व कारोबार के क्षेत्र में कई समझौते किए गए।
समझौते के मुताबिक जल्द ही भारतीय नर्स और डायटिशियन जैसे मेडिकल स्टॉफ के लिए ब्रिटेन का दरवाजा खुल जाएगा। नर्स के कोर्स से जुड़ी भारतीय डिग्री को ब्रिटेन में मान्यता मिलेगी। ब्रिटेन में काम करने वाले भारतीय सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल्स को सामाजिक सुरक्षा देने पर सहमति बन गई है। ब्रिटेन व भारत एक-दूसरे देश से कानूनी पढ़ाई करने वालों को भी मान्यता दे सकते हैं।
इस काम के लिए दोनों देशों ने एक कमेटी बनाई है जो इस पर फैसला करेगी। वाणिज्य सचिव बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने बताया कि एक-दूसरे देश की डिग्री को मान्यता देने पर फैसला कर लिया गया है जबकि नर्सिंग व मेडिकल स्टॉफ को मान्यता मिलने में कुछ माह लग सकते हैं। उन्होंने बताया कि समुद्र में शिपिंग पर काम करने के लिए जरूरी कोर्स से जुड़ी डिग्री को भी एक-दूसरे देश मान्यता देंगे।
10वीं, 12वीं, बीए, एमए की डिग्री की मान्यता से फायदा यह होगा कि ब्रिटेन में भारतीयों के लिए नौकरी के रास्ते आसान हो जाएंगे। अब भारतीय डिग्री की वजह से उन्हें नौकरी मिलने में दिक्कत नहीं आएगी। वाणिज्य सचिव ने बताया कि गुणवत्ता व अन्य कारणों से यूरोप में कई प्रकार के समुद्री उत्पाद के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था जिससे समुद्री उत्पाद का निर्यात प्रभावित हो रहा था।