संजय राउत बोले, किसी को भी बाला साहब ठाकरे के नाम के दुरुपयोग की अनुमति नहीं दी जा सकती
शनिवार को सुबह खबर आई की गुवाहाटी में डेरा जमाए पड़े शिवसेना के बागी विधायकों ने अपने गुट का नाम ‘शिवसेना-बाला साहब ठाकरे’ रखने का फैसला किया है। लेकिन इसके कुछ देर बाद की शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शिवसेना सांसद व प्रवक्ता संजय राउत ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि किसी को भी शिवसेना व इसके संस्थापक बाला साहब ठाकरे के नाम के दुरुपयोग की अनुमति नहीं दी जा सकती। इस बैठक की अध्यक्ष खुद उद्धव ठाकरे कर रहे थे। बागी शिवसेना विधायकों की संख्या को देखते हुए अब तक पार्टी के दो तिहाई से ज्यादा विधायक एकनाथ शिंदे के साथ जा चुके हैं। इसे देखते हुए विधानसभा में तकनीकी तौर पर शिंदे अब अपने गुट को ही असली शिवसेना की मान्यता देने की मांग कर रहे हैं। अब उन्होंने अपने नए गुट के नाम में भी शिवसेना व ठाकरे शब्द जोड़ने की घोषणा कर दी है।
उद्धव ठाकरे चुनाव आयोग को लिखेंगे पत्र, ताकि ना हो ठाकरे के नाम का दुरुपयोग
शिवसेना के प्रभाव क्षेत्र वाले ठाणे में शिंदे समर्थकों द्वारा किए गए जवाबी प्रदर्शन में भी लोगों के हाथ में बाला साहब ठाकरे का पोस्टर नजर आ रहा था। शिवसेना की कार्यकारिणी बैठक में राउत ने और तल्ख लहजे में कहा कि जिन्हें वोट चाहिए, वे अपने बाप का नाम इस्तेमाल करें, न कि शिवसेना के जनक बाला साहब ठाकरे का। बाद में इसी बैठक में खुद उद्धव ठाकरे ने भी कहा कि वह चुनाव आयोग व विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखेंगे कि वह अनाधिकृत या पार्टी से बगावत कर चुके व्यक्तियों द्वारा शिवसेना व बाला साहब ठाकरे के नाम का दुरुपयोग न होने दें।
शिंदे गुट के विधायक ने कहा, हम सब शिवसैनिक हैं, हमें नया नाम लेने की जरूरत ही नहीं
जबकि शिवसेना की कार्यकारिणी बैठक के बाद गुवाहाटी से ही पत्रकारों से बात करते हुए शिंदे गुट के विधायक व पूर्व गृह राज्यमंत्री दीपक केसरकर ने कहा कि हम सब शिवसैनिक हैं, और हमें नया नाम लेने की जरूरत ही नहीं है। हम तो सिर्फ इतना चाहते हैं कि पार्टी विधायकों का बहुमत हमारे साथ है, इसलिए हमारे गुट को मान्यता दी जाए। कोंकण के सावंतवाड़ी क्षेत्र से विधायक केसरकर के अनुसार, यदि विधानसभा उपाध्यक्ष नरहरि झिरवल हमारी मांग पर ध्यान नहीं देंगे तो हमें अदालत का सहारा लेना पड़ेगा। केसरकर ने यह भी साफ कर दिया कि संख्या बल हमारे साथ है। लेकिन हम अपने पार्टी अध्यक्ष (उद्धव ठाकरे) का सम्मान करते हैं, और हमारा गुट किसी और पार्टी के साथ विलय नहीं करेगा। यदि हमारे गुट को मान्यता नहीं मिलती, तो हम कोर्ट जाएंगे, या कोई और रास्ता अपनाएंगे। केसरकर ने कहा कि यह संवैधानिक संघर्ष है। हम बाला साहब ठाकरे के विचारों को नहीं छोड़ने वाले। हम कोई गलत या अवैधानिक काम नहीं करेंगे।