उत्तर प्रदेश

यूपी में ग्रीन हाइड्रोजन पॉलिसी लाने की तैयारी


वैश्विक मंचों पर ग्रीन हाउस गैसों के जीरो उत्सर्जन के भारत के वादे को पूरा करने में यूपी अपनी भूमिका निभाएगा। इसके लिए प्रदेश में ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा। यूपी सरकार पहली बार ग्रीन हाइड्रोजन पॉलिसी ला रही है, जिसमें ग्रीन हाइड्रोजन के उपयोग और उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार सुविधाओं और अनुदानों का पिटारा खोलेगी। ग्रीन हाइड्रोजन और अमोनिया के उत्पादन इकाइयों को बढ़ावा देने के लिए इकोसिस्टम फंड भी सृजित किया जाएगा। वाहनों के ईधन से लेकर घर में खाना बनाने, खेतों में इस्तेमाल होने वाली रासायनिक खाद तक में ग्रे हाइड्रोजन और अमोनिया का इस्तेमाल होता है। इनके उत्पादन के लिए नेचुरल गैस की जरूरत होती है। यह पर्यावरण के साथ ही देश की आर्थिक सेहत पर भी भारी पड़ता है, क्योंकि, इसे आयात करना पड़ता है। इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन मिशन शुरू किया गया है। यूपी की नई ग्रीन हाइड्रोजन नीति भी इसी कड़ी का हिस्सा है। सरकार ग्रीन हाइड्रोजन और अमोनिया के उत्पादन के लिए इकाइयों की स्थापना और इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देगी। वैकल्पिक ऊर्जा विभाग की ओर से तैयार की गई पॉलिसी में इसका रोडमैप जारी किया गया है। सभी स्टॉक होल्डर्स की राय के बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। इस पॉलिसी के निर्माण और अमल में आईआईटी कानपुर भी नॉलेज पार्टनर के तौर पर काम करेगा। प्रदेश में ग्रे हाइड्रोजन और अमोनिया की जगह चरणबद्ध ढंग से ग्रीन हाइड्रोजन/अमोनिया के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा। 2028 तक खाद में 20 फीसदी तक ग्रीन हाइड्रोजन ब्लेंडिंग की योजना है, जिसे 2035 तक 100 फीसदी तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।