नई दिल्ली, । रक्षा मंत्रालय ने दूरसंचार मंत्रालय द्वारा 2016 में अधिसूचित ‘राइट ऑफ वे (ROW)’नियमों के अनुरूप अपने क्षेत्र में मोबाइल टावर, ऑप्टिकल फाइबर और अन्य दूरसंचार अवसंरचना उपकरण (infrastructure gears) लगाने के नियमों में अब ढील दे दी है।
गति शक्ति पोर्टल पर 19 जनवरी को अपलोड किए गए नए नियमों की एक प्रति ने फरवरी 2018 में जारी “सैन्य स्टेशनों/छावनियों में संचार नेटवर्क का विस्तार करने के लिए साझा संचार टावर (shared communication tower) और अन्य दूरसंचार बुनियादी ढांचे” को बदल दिया है।
डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स एसोसिएशन (DIPA) के महानिदेशक टीआर दुआ ने कहा ‘रक्षा मंत्रालय की इस संशोधित नीति दूरसंचार उद्योग की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करती है। इसके साथ ही यह नए नीति रक्षा भूमि पर दूरसंचार बुनियादी ढांचे की स्थापना को भी तेज़ गति प्रदान करेगी। इससे छावनी क्षेत्रों में और उसके आसपास रहने वाले निवासी भी 5G सेवा का लाभ उठा सकेंगे।’
क्या है ये नए नियम
सरकार के नए नियम के अनुसार, ‘रक्षा भूमि के अंडर/ओवरग्राउंड टेलिकॉम इन्फ्राइस्ट्रक्चर की स्थापना के लिए प्राप्त किसी भी आवेदन को इंडियन टेलीग्राफ राइट ऑफ वे रूल्स 2016 के अनुसार दूरसंचार विभाग कुछ अतिरिक्त शर्तों के साथ संसाधित (formulated) करेगा। बता दें कि आवश्यकता अनुसार इसे समय-समय पर संशोधित किया जाता रहता है।
नए नियम के अनुसार सुरक्षा की दृष्टि से छावनी बोर्ड अब आवासीय क्षेत्र के बाहर सभी स्थानों के लिए स्टेशन मुख्यालय से एनओसी मांगेंगे। इलेक्ट्रॉनिक आवेदन प्रक्रिया के लिए रक्षा सम्पदा महानिदेशालय एक ऑनलाइन पोर्टल को बनाने के साथ उसका रखरखाव भी करेगा। इतना ही नहीं दूरसंचार विभाग के संचार पोर्टल के साथ इसे एकीकृत भी किया जाएगा।
छावनियों के अंदर के क्षेत्रों में दूरसंचार बुनियादी ढांचे की स्थापना के लिए, छावनी बोर्ड को उस संगठन से पूर्व अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) लेना होगा, जिसके प्रबंधन के तहत रक्षा भूमि स्थित है।
नए नियम के अनुसार गतिशक्ति संचार के ऑनलाइन पोर्टल पर किसी दूरसंचार सेवा प्रदाता के आवेदन करने के बाद उसे 60 दिन की अवधि समाप्त होने पर स्वीकृति मिलेगी।