रक्सौल (संसू) भारत-नेपाल सीमा के रक्सौल बॉर्डर पर एसएसबी 47 वीं बटालियन कमांडेंट प्रियव्रत शर्मा के विशेष निर्देशन में एएचटीयू टीम इंचार्ज मनोज कुमार शर्मा ने अचानक नेपाल के 23 नाबालिग बच्चों को 2 व्यक्तियों के साथ इमिग्रेशन कार्यालय के करीब देख संदेह के आधार पर रोका। जिसके बाद जब उनसे पूछताछ की गई कि ये बच्चे लेकर कहाँ जा रहे हैं, तो पहले दोनों व्यक्तियों ने मना किया, फिर जब अधिकारी ने बताया कि मानव तस्करी रोधी इकाई एसएसबी है तो दोनों व्यक्तियों ने बताया कि वे 23 बच्चों को बोधगया मोनेस्ट्री में शिक्षा के लिए ले जा रहे हैं।
इस दौरान नेपाल की एक संस्था को बुलाकर संयुक्त रूप से पूछने पर पता चला कि सभी बच्चों को नेपाल की राजधानी काठमांडू में नेपाल के अलग-अलग 14 जिलों से एकत्रित करने के बाद बस के माध्यम से बीरगंज लाया गया और पुन: उन्हें रक्सौल के रास्ते आगे ले जाने की योजना थी। परन्तु शक के घेरे में वे लोग तब आये, जब उन्होंने कोई उचित कागजात नही दिखायें। ले जाने के पूर्व उनके द्वारा ये सूचना न तो नेपाल सरकार को दी गयी थी और न तो भारत सरकार या बिहार सरकार को दी गयी थी।
वहीं भरे हुए फार्म में भी अनुमति के स्थान पर कुछ अभिभावकों के हस्ताक्षर ही न थे। सभी बच्चे लगभग 4 साल से लेकर 7 वर्ष तक के थे। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि बच्चों को मानव तस्करी के उद्देश्य से ले जाया जा रहा था। बाद में सभी बच्चों को नेपाल पुलिस के विशेष विभाग को सुपुर्द किया गया। जांच टीम में इंस्पेक्टर श्री शर्मा के साथ सहायक सब इंस्पेक्टर परिश्वर मुशाहारी, हेड कांस्टेबल कुलदीप कुमार, महिला कांस्टेबल शिल्पी कुमारी व कांस्टेबल योगेश कुमार आदि शामिल थे।