प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 16 फरवरी को राजा सुहेलदेव राजभर के स्मारक का शिलान्यास करेंग. सुहेलदेव को राजभर बिरादरी मान- सम्मान का प्रतीक मानती है और इस बिरादरी का उत्तरप्रदेश में 40 विधानसभा सीटों पर दबदबा है. राजभर वोटों को हासिल करने के लिए कई दलों में होड़ लगी है.
उत्तरप्रदेश की योगी सरकार ने राजा सुहेलदेव राजभर के सम्मान में स्मारक बनाने का फ़ैसला किया है. इससे जुड़े कार्यक्रम का शिलान्यास पीएम नरेन्द्र मोदी करेंगे. राजा सुहेलदेव को राजभर बिरादरी के मान- सम्मान का प्रतीक माना जाता है. वे इस जाति के लोगों के लिए सबसे बड़े महापुरुष हैं.
उत्तरप्रदेश के पूर्वांचल में करीब 40 ऐसी सीटें हैं जहां राजभरों का दबदबा है. सुहेलदेव के नाम पर यूपी में एक क्षेत्रीय पार्टी भी है. करीब दो साल पहले तक ये पार्टी एनडीए में शामिल थी. सुहेलदेव समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री थे. 2017 के चुनाव में पार्टी के चार विधायक चुने गए थे. तब चुनाव में राजभर और मोदी ने संग प्रचार किया था. बाद में राजभर और योगी में नहीं बनी. ओम प्रकाश राजभर एनडीए से बाहर आ गए.
राजभर वोटबैंक पर कई दलों की नजर
अब राजभर ने असदुद्दीन ओवैसी के साथ मिल कर एक नया मोर्चा बना लिया है. इस मोर्चे में कुछ और भी छोटी पार्टियां शामिल हैं. अगले साल की शुरूआत में यूपी में चुनाव है. राजभर जाति के वोटरों को अपना बनाने के लिए बीजेपी ने मुहिम छेड़ दी है. इस समाज के वोट पर ओम प्रकाश राजभर का भी दावा है. इनका एक-एक वोट बहुत मायने रखता है. तभी तो सुहेलदेव के प्रोग्राम में पीएम और सीएम दोनों रहेंगे.
1000 हजार साल पहले राजा सुहेलदेव ने दिखाया था पराक्रम
आइये अब जरा जान सुहेलदेव महाराज के बारे में भी जान लें. ये बात करीब 1000 साल पुरानी है. इतिहास को यू टर्न देने वाली यह घटना बहराइच में हुई थी. यह दास्तान है वीरता, स्वाभिमान और राष्ट्रभक्ति की.15 जून 1033 को श्रावस्ती के राजा सुहेलदेव और सैयद सालार मसूद के बीच बहराइच के चित्तौरा झील के तट पर युद्ध हुआ था. इस लड़ाई में सुहेलदेव की सेना ने सालार मसूद की सेना को गाजर-मूली की तरह काट डाला. राजा सुहेलदेव की तलवार के एक ही वार ने मसूद का काम भी तमाम कर दिया. युद्ध की भयंकरता का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि इसमें मसूद की पूरी सेना का सफाया हो गया.
एक पराक्रमी राजा होने के साथ सुहेलदेव संतों को बेहद सम्मान देते थे. वह गोरक्षक और हिंदुत्व के भी रक्षक थे.इतिहासकारों ने भले ही सुहेलदेव के पराक्रम और उनकी अन्य खूबियों की अनदेखी की हो, पर स्थानीय लोकगीतों की परंपरा में महाराज सुहेलदेव की वीरगाथा लोगों को रोमांचित करती रही.
बहराइच और श्रावस्ती के लिए बड़ी सौगातों की भी हो सकती है घोषणा
यूपी की योगी सरकार ने उनकी जयंती को पहली बार बड़े ही धूमधाम से मनाने का फ़ैसला किया है. 16 फरवरी (बसंत पंचमी) को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सुहेलदेव की याद में होने वाले कार्यक्रम से वीडियो कॉन्फ्रेंस से जुड़ेंगे. योगी आदित्यनाथ उस दिन खुद बहराइच में रहेंगे. कार्यक्रम के दौरान बहराइच और श्रावस्ती के लिए कुछ बड़ी सौगातों की भी घोषणा हो सकती है. इससे चित्तौरा झील पर स्थित महाराजा सुहेलदेव की कर्मस्थली को अब एक अलग पहचान मिलेगी.
इसके पहले भी महाराज सुहेलदेव के सम्मान में भाजपा में डाक टिकट जारी हुआ था. ट्रेन चलाई गई थी. प्रधानमंत्री की मंशा के अनुसार योगी आदित्यनाथ उसी के क्रम को आगे बढ़ा रहे हैं. उस दिन प्रधानमंत्री चित्तौरा झील और महाराज सुहेलदेव के स्मारक के सुंदरीकरण के कार्यकमों का शिलान्यास भी करेंगे.