कोलकाता, बंगाल में निजी विश्वविद्यालयों के विजिटर पद से राज्यपाल को हटाकर शिक्षामंत्री को नियुक्त करने से संबंधित पश्चिम बंगाल निजी विश्वविद्यालय कानून(संशोधन) बिल-2022 विधानसभा में पेश किया गया। शिक्षामंत्री ब्रात्य बसु ने मंगलवार को बिल पेश किया। बिल पर जब शिक्षामंत्री ने बोलना शुरू किया तो भाजपा विधाय नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर निकल गए। विधान सभा में विपक्ष की अनुपस्थिति में पश्चिम बंगाल निजी विश्वविद्यालय कानून(संशोधन) बिल-2022 पारित हो गया।
इससे पहले राज्यपाल को हटाकर मुख्यमंत्री को राज्य के सरकारी 31 विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति बनाने संबंधी बिल भाजपा के भारी विरोध के बीच सोमवार को पारित हुआ था। शिक्षा मंत्री ने पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) बिल-2022 को सदन में पेश करने के बाद कहा था कि मुख्यमंत्री को कुलाधिपति बनाने में कुछ भी गलत नहीं है। उन्होंने तर्क देते हुए कहा था कि अगर केंद्रीय विश्वविद्यालय विश्वभारती के कुलाधिपति प्रधानमंत्री हो सकते हैं तो मुख्यमंत्री राज्य के विश्वविद्यालयों के क्यों नहीं? शिक्षा मंत्री ने गुजरात का उदाहरण पेश करते हुए कहा था कि नरेन्द्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने भी वहां के राज्यपाल को कुलाधिपति के पद से हटाने की तैयारी की थी। बसु ने आरोप लगाते हुए कहा कि राज्यपाल ने बतौर कुलाधिपति कई मौकों पर प्रोटोकाल का उल्लंघन किया है। दूसरी तरफ भाजपा ने बिल का विरोध करते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री को कुलाधिपति नियुक्त किए जाने से राज्य की उच्च शिक्षा प्रणाली में प्रत्यक्ष राजनीतिक हस्तक्षेप हो सकता है।
भाजपा विधायकअग्निमित्रा पाल ने आरोप लगाया था कि राज्य सरकार सभी पर नियंत्रण चाहती है। मुख्यमंत्री को विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति नियुक्त करने का फैसला राज्य की शिक्षा प्रणाली में सत्तारूढ़ पार्टी के प्रत्यक्ष हस्तक्षेप को सहूलियत देने के लिए किया गया है।