नई दिल्ली, । भारत की अध्यक्षता में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन को भारत के लिए काफी फायदेमंद और सफल समिट माना जा रहा है। इस बैठक के दौरान भारत ने अमेरिका, यूरोप और अरब देशों को साथ लाकर एक नए इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट पर सहमति बनाई गई है, जिस पर जल्द ही काम शुरू हो सकता है।
IMEC का हुआ ऐलान
जी20 शिखर सम्मेलन (G20 Summit) में नए इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट इंडिया-मिडिल ईस्ट-यू्रोप इकोनामिक कॉरिडोर (IMEC) का ऐलान किया गया है। इस प्रोजेक्ट को चीन के ‘वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट’ की काट माना जा रहा है। अब तक चीन अपने इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के जरिये दुनिया के तमाम देशों में अपना प्रभाव बढ़ा रहा था, लेकिन माना जा रहा है कि अब चीन के लिए ऐसा करना आसान नहीं होगा। आइए जानते हैं कि यह प्रोजेक्ट भारत और दुनिया के लिए इतना अहम क्यों है?
सिल्क- स्पाइस रूट से भी अहम
नया इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट कॉरिडोर सिल्क रूट और स्पाइस रूट से भी ज्यादा अहम होगा। गौरतलब है कि प्राचीन भारत में सिल्क रूट और स्पाइस रूट के जरिये कपड़ों और मसालों का व्यापार होता था। उस दौरान भारत दुनिया के तमाम देशों में अपना सामान निर्यात करता था। इसी वजह से प्राचीन भारत की अर्थव्यवस्था काफी समृद्ध थी। माना जा रहा है कि आर्थिक कॉरिडोर इससे भी ज्यादा ऐतिहासिक होगा।
कौन से देश हैं शामिल
जी20 सम्मेलन के दौरान भारत, अमेरिका, इटली, सऊदी अरब, फ्रांस जर्मनी और यूरोपीय संघ के नेताओं ने इस प्रोजेक्ट को लेकर सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए। इस प्रोजेक्ट के जरिए भारत, पश्चिम एशिया और यूरोप कारोबार के मामले में और मजबूती से जुड़ेंगे।
20 अरब डॉलर लागत का अनुमान
इस प्रोजेक्ट के पूरा होने में कितना खर्च आएगा, इसको लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन माना जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट पर लगभग 20 अरब डॉलर खर्च किए जा सकते हैं।
कैसे काम करेगा कॉरिडोर
इस प्रोजेक्ट में दो कारिडोर शामिल होंगे। इसका पूर्वी कारिडोर भारत को खाड़ी देशों से जोड़ेगा। वहीं, उत्तरी कारिडोर खाड़ी देशों को यूरोप से जोड़ेगा। इस प्रोजेक्ट के तहत रेल और बंदरगाह नेटवर्क विकसित किए जाएंगे।
भारत का चीन को जवाब
प्रस्तावित इंडिया-मिडिल ईस्ट-यू्रोप इकोनामिक कॉरिडोर को भारत का चीन के ‘वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट’ का जवाब माना जा रहा है। गलवान में हुए संघर्ष के बाद से ही भारत और चीन के बीच तनाव बना हुआ है। भारत काफी समय से चीन के वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट का विरोध कर रहा है। इसकी वजह ये है कि इस प्रोजेक्ट का एक हिस्सा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है, जो अभी पाकिस्तान के कब्जे में है।
बीआरआई से चीन के कर्ज में फंसे देश
चीन ने अपने इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) को आगे बढ़ाने के लिए कई देशों को भारी-भरकम कर्ज दिए हैं। कर्ज किन शर्तों पर दिया जा रहा है, इसके बारे में सार्वजनिक तौर पर बहुत कम जानकारी उपलब्ध है।
पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देश पहले से ही महंगे कर्ज के जाल में फंस कर अपनी अर्थव्यवस्था को तबाह कर चुके हैं। कई देश इससे अलग हो चुके हैं और हाल में इटली ने बीआरआई से अलग होने की बात कही है।