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वाराणसी जंक्शन पर बनेंगे तीन नये प्लेटफार्म-रेलमंत्री


जनप्रतिनिधियों ने रेलमंत्री को बताया रेलवे के जर्जर आवासों का हाल
बनारस स्टेशन से ही चलेगी दक्षिण भारत की सभी गाड़ियां, काशी स्टेशन पर भी होगा गाड़ियों का ठहराव, तीनों प्रमुख बनारस, कैंट और काशी रेलवे स्टेशन को जोड़कर बनाया जा रहा है मास्टर प्लान, रेलवे परिवहन सुविधा होगी सुदृढ़
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शनिवार को बनारस, काशी और कैंट रेलवे स्टेशन का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने यात्रियों की सुविधाओं और स्टेशनों पर चल रहे विकास कार्यों का जायजा लिया। वाराणसी जंक्शन के सर्कुलेटिंग एरिया केन्द्रीय रेल, सूचना एवं प्रसारण तथा इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि वाराणसी जंक्शन के द्वितीय प्रवेश द्वार पर एक जबकि तृतीय प्रवेश द्वार पर दो नये प्लेटफ़ॉर्म बनेंगे। यहां रोपवे और रेलवे स्टेशन को इंट्रीग्रेटेड करके री- डेवलपमेंट प्लान बनाया जा रहा है। भविष्य की कार्ययोजना पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि मौजूदा स्थिति में वाराणसी से रोजाना १५० ट्रेनों का आवागमन होता है। इसकी क्षमता चार से पांच सौ करने के उद्देश्य से वाराणसी जंक्शन, बनारस स्टेशन और काशी स्टेशन को जोड़कर एक मास्टर प्लान बनाया जा रहा है। बताया कि दक्षिण भारत की ट्रेने बनारस स्टेशन से बनकर चलेगी। जबकि काशी स्टेशन पर ट्रेनों का ठहराव बढ़ाया जायेगा। रेलमंत्री ने बताया कि मालवीय ब्रिज के समानांतर प्रस्तावित सिग्नेचर ब्रिज का डिजाइन पूरा हो गया है। इसकी टेंडर प्रक्रिया शुरू हो गयी है। इस ब्रिज में चार रेल लाइन और छह हाइवे लाइन निकाले जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि मास्टर प्लान मूर्तरूप लेने के बाद रेल सुविधा में व्यापक परिवर्तन आयेगा।
वाराणसी जंक्शन के री- डेवलपमेंट का लेआउट देखा
रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने वाराणसी जंक्शन पर निरीक्षण के दौरान यहां री-डेवलपमेंट प्लान का लेआउट देखा। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन सतीश कुमार और मौजूद इंजीनियरिंग विभाग के शीर्ष अधिकारियों को उन्होंने आवश्यक सुझाव दिए। रेलवे स्टेशन के विकास कार्य में काशी की संस्कृति और कला के थीम का प्रयोग करने की बात कही। इसके पूर्व रेलमंत्री बनारस स्टेशन से निरीक्षण यान (परख) पर सवार हुए। सेक्शन का निरीक्षण करते हुए काशी स्टेशन पहुंचे। काशी स्टेशन पर विकास कार्यों का जायजा लेकर वह निरीक्षण यान से वाराणसी जंक्शन आये। यहां विकास कार्यों पर विचार विमर्श करने के बाद सड़क मार्ग से बरेका के लिए प्रस्थान कर गये।