केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने देशके सबसे बड़े हथियार लाइसेंस घोटालेका खुलासा किया है। जो तथ्य उजागर हुए हैं उसमें जम्मू-कश्मीरके कई जिलाधिकारियों और हथियार डीलरोंकी महत्वपूर्ण भूमिका सामने आयी है। २०१२ से २०१६ के बीच रिश्वत लेकर दो लाख ७८ हजारसे अधिक फर्जी गन लाइसेंस जारी कर दिये गये। जम्मू-कश्मीर देशका सर्वाधिक संवेदनशील राज्य है, जहां आतंकी गतिविधियां भी अपेक्षाकृत अधिक होती हैं, ऐसे राज्यमें इतनी बड़ी संख्यामें फर्जी गन लाइसेंस जारी होना गम्भीर चिन्ताका विषय है। इसके साथ ही राज्य प्रशासनकी कार्यशैलीपर भी सवाल खड़े होते हैं। इस सिलसिलेमें सीबीआईने जम्मू-कश्मीरके छह जिलों सहित दिल्लीमें कुल ४० स्थानोंपर एक साथ छापेमारी कर बड़ी काररवाई की है। इनमें हथियार डीलरोंके अतिरिक्त दो आईएएस अधिकारी शाहिद इकबाल चौधरी और नीरज कुमार भी शामिल हैं। छह एडीसी और सेवानिवृत्त अधिकारियोंके ठिकानोंपर भी छापे मारे गये। अभीतक ५० लोगोंकी गिरफ्तारी हुई है। छापेमें महत्वपूर्ण दस्तावेज और रिकार्ड बरामद किये गये हैं, जिनसे और भी जानकारी सामने आ सकती है। सीबीआई प्रवक्ताका कहना है कि जब्त दस्तावेजोंसे यह बात सामने आयी है कि कुछ हथियार डीलरों और नौकरशाहोंकी इसमें संलिप्तता रही है। जम्मू-कश्मीरके सभी जिलोंमें हुए इस फर्जीवाड़ेसे जुड़े दस्तावेजोंको जब्त किया गया है। इस बड़े घोटालेकी पहली बार जानकारी २०१७ में राजस्थानके आतंकवाद निरोधी दस्तेको मिली। इस दस्तेने ऐसे अपराधियोंको पकड़ा था जिनके पास जम्मू-कश्मीरके अधिकारियोंकी ओरसे जारी लाइसेंस मिले थे। एटीएसको यह भी पता चला कि फर्जी दस्तावेजोंके आधारपर सेनाके जवानोंके नाम तीन हजारसे अधिक लाइसेंस दिये गये थे। २०१८ में राज्यपाल शासन लागू होनेके बाद तत्कालीन राज्यपाल एन.एन. वोहराने इस मामलेकी जांच सीबीआईको सौंप दिया था। हथियार लाइसेंसोंका यह असाधारण घोटाला है, इसकी जड़ें कहांतक फैली हैं, यह भी जांचका विषय है। उन सभी नौकरशाहों और हथियार डीलरोंके खिलाफ कठोरतम काररवाई आवश्यक है, जो इसमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूपसे संलिप्त रहे हैं। इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि देशके सभी राज्योंमें जारी लाइसेंसोंकी पड़ताल होनी चाहिए जिससे कि यदि कहीं फर्जी लाइसेंस है तो उसे उजागर किया जा सके।
चानूपर देशको गर्व
देशकी बेटी मीराबाई चानूने टोक्यो ओलम्पिकमें २१ वर्षका लम्बा इंतजार खत्म करते हुए भारोत्तोलन प्रतिस्पर्धामें शनिवारको ४९ किलो वर्गमें भारतके लिए रजत पदक जीतकर इतिहास रच दिया। मणिपुरकी २६ वर्षीय चानू ने क्लीन एण्ड जर्क स्पर्धामें २०२ किलोग्राम (८७किलो प्लस ११५ किलो) वजन उठाकर चांदी की चमकसे १३५ करोड़ भारतीयोंका सिर गर्वसे ऊंचा कर दिया। चानूकी इस गौरवमयी उपलब्धिपर राष्टï्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी समेत तमाम हस्तियोंने बधाई दी है। चानू की यह ऐतिहासिक जीत मामलोंमें महत्वपूर्ण हैं जो भारतीयोंके ओलम्पिक प्रतिस्पर्धाके इतिहासमें स्वर्णाक्षरोंमें लिखी जायगी। पहली बार भारत ओलम्पिकके इतिहासमें पहले ही दिन पदक जीता जो प्रतिस्पर्धाकी सुखद शुरुआत है। पहली बार किसी भारतीय महिलाने भारोत्तोलनमें रजत पदक अपने नाम किया। इसके पूर्व वर्ष २००० में कर्णम मल्लेश्वरी ने कांस्य पदक जीता था। चानूने अपना पदक मां और देशवासियोंको समर्पित करते हुए कहा कि यह पदक बेटियोंके प्रति लोगोंकी सोच बदलेगा। माता-पिता बेटियोंको ज्यादासे ज्यादा खेलनेके लिए प्रेरित करेंगे। चानू ने सिर्फ परिवार का ही नहीं बल्कि पूरे देशका नाम रोशन किया है। पहाड़ों, जंगलोंमें लकडिय़ां बीनने वाली मणिपुरकी इस बालाने कभी सोचा नहीं था कि एक दिन वह देशका सिरमौर बनेगी। चानू जैसी प्रतिभावान लड़कियोंपर देशको गर्व है। इनके माता-पिता साधुवादके पात्र हैं। चानूके शानदार प्रदर्शनपर कोरोनाके कारण पूरे राज्यमें कफ्र्यूके बावजूद मणिपुरके लोगोंने कई स्थानोंपर उनकी जीतका जश्न मनाया। चांदीसे चमकी चानू अन्य महिला खिलाडिय़ोंके लिए प्रेरणा है जो निराशाको आशामें बदलनेकी सीख देती है। चानूके बाद हरियाणाकी महिला रेसलर प्रिया मलिकने भी हंगरीमें आयोजित विश्व रेसलिंगमें स्वर्ण पदक जीतकर राष्टï्रका गौरव बढ़ाया है। प्रिया ने ७६ किलो भार वर्गमें स्वर्ण पदक जीता है। देशकी बेटियोंका गौरव नारी सशक्तिकरणकी दिशामें महत्वपूर्ण उपलब्धि है।